डेट फंड्स में निवेशः डेट फंड्स क्या होते हैं?
डेट फंड ऐसे म्युचुअल फंड हैं जो निवेशकों का पैसा डेट इंस्ट्रूमेंट्स में लगाते हैं। डेट इंस्ट्रूमेंट्स से मतलब - कॉल मनी, बॉन्ड, डिबेंचर्स, सरकारी सिक्योरिटीज, डिपॉजिट सर्टिफिकेट और कमर्शियल पेपर हैं। अलग अलग फाइनेंशियल लक्ष्यों के मुताबिक अलग अलग डेट फंड होते हैं।
डेट फंड ऐसे म्युचुअल फंड हैं जो निवेशकों का पैसा डेट इंस्ट्रूमेंट्स में लगाते हैं। डेट इंस्ट्रूमेंट्स से मतलब - कॉल मनी, बॉन्ड, डिबेंचर्स, सरकारी सिक्योरिटीज, डिपॉजिट सर्टिफिकेट और कमर्शियल पेपर हैं। अलग अलग फाइनेंशियल लक्ष्यों के मुताबिक अलग अलग डेट फंड होते हैं।
डेट फंड कितनी तरह के होते हैं?
डेट फंड कई तरह के होते हैं जैसे लिक्विड फंड, अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड, शॉर्ट टर्म फंड, गिल्ट फंड, इनकम फंड, क्रेडिट ऑप्युर्चनिटी फंड, मंथली इनकम प्लान और फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान।
डेट फंड कई तरह के होते हैं जैसे लिक्विड फंड, अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड, शॉर्ट टर्म फंड, गिल्ट फंड, इनकम फंड, क्रेडिट ऑप्युर्चनिटी फंड, मंथली इनकम प्लान और फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान।
लिक्विड फंड्स किसे कहते हैं?
बहुत कम वक्त के लिए निवेश करने वाले फंड लिक्विड फंड कहलाते हैं और लिक्विड फंड को मनी मार्केट फंड भी कहा जाता है। लिक्विड फंड में कुछ दिन से लेकर कुछ हफ्ते तक के लिए निवेश संभव होता है और अगर कुछ ज्यादा पैसा आ गया तो उसे इस फंड में शिफ्ट किया जा सकता है। इन फंड में कोई एक्जिट लोड नहीं लगता है। लिक्विड फंड से रकम तुरंत बैंक अकाउंट में ट्रांसफर हो जाती है और इन फंड्स में बहुत थोड़े वक्त के लिए निवेश कर सकते हैं। ये फंड बहुत कम वक्त की सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं और इन सिक्योरिटीज में रकम डूबने का रिस्क ना के बराबर होता है। इनमें निवेश सबसे सुरक्षित लेकिन रिटर्न भी कम होता है।
बहुत कम वक्त के लिए निवेश करने वाले फंड लिक्विड फंड कहलाते हैं और लिक्विड फंड को मनी मार्केट फंड भी कहा जाता है। लिक्विड फंड में कुछ दिन से लेकर कुछ हफ्ते तक के लिए निवेश संभव होता है और अगर कुछ ज्यादा पैसा आ गया तो उसे इस फंड में शिफ्ट किया जा सकता है। इन फंड में कोई एक्जिट लोड नहीं लगता है। लिक्विड फंड से रकम तुरंत बैंक अकाउंट में ट्रांसफर हो जाती है और इन फंड्स में बहुत थोड़े वक्त के लिए निवेश कर सकते हैं। ये फंड बहुत कम वक्त की सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं और इन सिक्योरिटीज में रकम डूबने का रिस्क ना के बराबर होता है। इनमें निवेश सबसे सुरक्षित लेकिन रिटर्न भी कम होता है।