Saturday, April 16, 2011

अब किस बुनियाद पर बनेगा यूनिटेक का भविष्य?

गत 2 अप्रैल को जब सारा देश मुंबई में हो रही विश्व कप क्रिकेट प्रतियोगिता का निर्णायक मुकाबला देखने में व्यस्त था उस दिन केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने  2जी स्पेक्ट्रम मामले में कथित संलिप्तता के चलते नौ व्यक्तियों तथा तीन कंपनियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया।


माना जा रहा है कि उनमें एक नाम अचल संपत्ति का कारोबार करने वाली कंपनी यूनिटेक के प्रबंध निदेशक संजय चंद्रा का भी है। चंद्रा मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी यूनिटेक वायरलेस के अध्यक्ष भी हैं। यूनिटेक वायरलेस का नाम उन कंपनियों में शामिल है जिनके बारे में कहा जा रहा है कि उन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन से अप्रत्याशित लाभ अर्जित किया। कंपनी में 67.25 फीसदी हिस्सेदारी नॉर्वे की कंपनी टेलीनॉर की तथा 32.75 फीसदी हिस्सेदारी यूनिटेक की है।


चंद्रा पिछले काफी समय से कंपनी का चेहरा रहे हैं। जाहिर तौर पर आरोप पत्र का यूनिटेक के शेयर की कीमतों पर नकारात्मक असर पडऩा चाहिए था लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इसके बजाय, बंबई स्टॉक एक्सचेंज में यूनिटेक के शेयर एक अप्रैल के 41.85 रुपये से 6 अप्रैल को 45.25 रुपये पर जा पहुंचे।


दरअसल पिछले चार महीनों के दौरान यूनिटेक के शेयर 80 रुपये से गिरकर 32 रुपये तक जा पहुंचे थे क्योंकि ऐसी आशंकाएं जताई जा रही थीं कि 2जी स्पेक्ट्रम संबंधी जांच पूरी हो जाने पर कंपनी की वित्तीय देनदारी तय हो सकती है। आरोप पत्र ने इस अनिश्चितता का अंत कर दिया है। संभवत: यही वजह है कि हाल के दिनों में कंपनी के शेयरों की कीमतें ऊपर गई हैं।


कंपनी यह मान रही है कि उसका सबसे बुरा समय पीछे छूट चुका है। कंपनी यह तर्क देती है कि अगर कहीं कोई नकारात्मक पहलू होता तो ऑस्ट्रेलिया की प्लेटिनम इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट यूनिटेक में अपनी हिस्सेदारी 4.93 फीसदी से बढ़ाकर 5.16 फीसदी क्यों करती? जेपी मॉर्गन की एक हालिया रिपोर्ट में पाया गया है कि इसका क्षमता से कम मूल्यांकन हुआ है। रिपोर्ट में इसकी दो प्राथमिक भू संपत्तियों- गुडग़ांव में 900 एकड़ जमीन और नोएडा में 350 एकड़ भूमि की कीमत कुलमिलाकर 19,200 करोड़ रुपये लगाई गई है। देनदारियों के बाद इसके प्रत्येक शेयर की कीमत 62 रुपये आंकी गई, यह उसकी मौजूदा शेयर कीमत से ज्यादा है। कंपनी का दावा है कि परिसंपत्तियों की बिक्री से आने वाली पूंजी का प्रवाह बेहतर बना हुआ है।


हालांकि ऐसा नहीं है कि यूनिटेक का कभी संकट से पाला नहीं पड़ा। वर्ष 2008 में जब अचल संपत्ति का बाजार एकदम निचले पायदान पर पहुंच चुका था, उस समय कंपनी 8,000 करोड़ रुपये के कर्ज में डूबी हुई थी। कंपनी की बाजार से करीब 11,700 करोड़ रुपये उगाहने की योजना थी लेकिन निवेशकों में अचल संपत्ति को लेकर कोई उत्साह ही नहीं रह गया था।


यूनिटेक के शेयरों की कीमत फरवरी 2008 के 430 रुपये से 90 फीसदी गिरकर फरवरी 2009 में 30 रुपये तक आ गई। यह बात ध्यान देने योग्य है कि वर्ष 2007 में चंद्रा परिवार 11.6 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ फोब्र्स की अरबपतियों की सूची में शामिल था। एक वर्ष में कंपनी की हालत इतनी खस्ता हो गई। यह भी तब हुआ जब चंद्रा ने अपनी परिसंपत्तियां बेचीं, महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं को रद्द किया, जमीन के तमाम नए सौदों को रोक दिया और कंपनी के बनाए आवासों की कीमतों में भारी कमी की। उन्होंने भारी मात्रा में ऋण का पूंजीकरण किया जिसका तात्पर्य था कि वह केवल तभी ब्याज चुकाएंगे जबकि वह परियोजना जिसके लिए ऋण लिया गया था, पूरी तरह बिक जाएगी। इस तरह वह तिमाही चुकाए जाने वाले ब्याज की राशि 300 करोड़ रुपये से घटकर 100 करोड़ रुपये हो गई।


तब से यूनिटेक अपने कर्ज को 4,500 करोड़ रुपये से नीचे ला चुकी है। इसके लिए आंतरिक संसाधन जुटाने के अलावा क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट्स का सहारा लिया गया। कंपनी ने व्यावसायिक के बजाय आवासीय अचल संपत्ति के कारोबार पर ध्यान केंद्रित कर रखा है। वह कर्ज लेना नहीं चाहती है और फ्लैट तथा घरों की बिक्री से ही वह निर्माण कार्य कर रही है। व्यावसायिक परिसंपत्तियों के साथ होता यह है कि उनकी बिक्री विनिर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद ही होती है। कंपनी छोटे पैमाने पर जमीन की खरीद कर रही है वह भी उन्हीं इलाकों में जहां पहले से चल रही परियोजनाओं के लिए ऐसा करना जरूरी हो। निश्चित तौर पर अचल संपत्ति के बाजार में आए सुधार ने भी इसमें मदद की है।


यूनिटेक की जमीन की कीमत औसतन 250 रुपये प्रति वर्गमीटर है जो कि विशेषज्ञों के मुताबिक इस बाजार में सबसे कम है। बहरहाल, अचल संपत्ति के कारोबार से जुड़े बिचौलियों का कहना है कि 2जी विवाद ने कंपनी की छवि पर असर डाला है और उसके लिए आगे अपनी संपत्तियों की बिक्री करना आसान नहीं होगा।


क्या यूनिटेक और चंद्रा के लिए सबकुछ ठीकठाक है? हर्गिज नहीं। पहली बात, चंद्रा परिवार ने कंपनी में अपनी 48.57 फीसदी हिस्सेदारी में से दो तिहाई गिरवी रखी हुई है। ऐसे में शेयर कीमतों में कोई बड़ी गिरावट बड़े संकट को जन्म दे सकती है। ऐसी भी खबर है कि जब कंपनी के शेयर 32 रुपये तक गिर गए थे तब चंद्रा परिवार ने ऋणदाताओं को इस बात के लिए अतिरिक्त भुगतान किया था कि ये शेयर बाजार में न जाएं। अब जबकि शेयर कीमतों में सुधार हो चुका है तो चंद्रा परिवार राहत की सांस ले सकता है। यूनिटेक वॉयरलेस को लेकर कंपनी और टेलीनॉर के संबंधों में भी बिगाड़ हो गया है।


दूरसंचार सेवा क्षेत्र में विस्तार के लिए टेलीनॉर राइट्स इश्यू चाहती है जबकि यूनिटेक का मानना है कि राइट्स इश्यू शेयरधारकों के हित में नहीं होगा। निश्चित तौर पर अगर कंपनी राइट्स इश्यू सब्सक्राइब करने के लिए धनराशि नहीं जुटा पाती तो यूनिटेक की शेयर कीमतों में और गिरावट आएगी।


टेलीनॉर भी इस बात को लेकर सचेत है कि मौजूदा विवाद भारत जैसे दुनिया के सबसे बड़े मोबाइल बाजार में उसकी छवि पर नकारात्मक असर डाल सकता है। सीबीआई द्वारा आरोप पत्र दाखिल किए जाने के तत्काल बाद टेलीनॉर ने कहा, 'यह उस समय की बात है जब टेलीनॉर समूह भारत में नहीं आया था। यूनिटेक वॉयरलेस न्यायालय में अपना मामला देखेगी और चंद्रा से भी हमें ऐसी ही उम्मीद है।Ó जाहिर है संकट सामने है।