Tuesday, May 3, 2011

सोने-चांदी की चकाचौंध में न हो लालच का रतौंध

हर दूसरे दिन सोने और चांदी के भाव नई ऊंचाइयां छू रहे हैं और यही वजह है कि अब रांची में रहने वाले अनूप वोहरा भी सोने-चांदी को अपने निवेश पोर्टफोलियो में शामिल करना चाहते हैं। 35 वर्षीय वोहरा को लगता है कि चांदी में तेजी कुछ और समय के लिए बनी रह सकती है।

हालांकि उद्योग के जानकारों की राय इससे अलग है। आनंद राठी फाइनैंशियल सर्विसेज में कमोडिटीज रिसर्च के प्रमुख किशोर नार्ने कहते हैं, 'सोने में तेजी की कई वजहें हैं। हालांकि चांदी के भाव में ताबड़तोड़ बढ़ोतरी का कोई कारण नजर नहीं आ रहा है।'

अब तक यही देखा गया है कि चांदी की कीमतें सोने की कीमतों के पीछे-पीछे चलती हैं। हालांकि इस साल के शुरुआत से ही चांदी की चाल कुछ बदली बदली सी नजर आ रही है। इस साल की शुरुआत से जहां चांदी ने 58 फीसदी का प्रतिफल दिया है वहीं सोने ने केवल 7 फीसदी का प्रतिफल दिया है। वहीं अगर बीते एक साल के आंकड़े पर नजर डालें तो पता चलता है कि चांदी से 130 फीसदी से अधिक प्रतिफल हासिल हुआ है जबकि सोने से तकरीबन 30 फीसदी प्रतिफल मिला है। चूंकि चांदी औद्योगिक धातु है इस कारण से इसकी कीमत तांबे की कीमत के मुताबिक ही बढऩी चाहिए। पर पिछले एक साल में तांबा से 23 फीसदी और निकल से 6 फीसदी का प्रतिफल मिला है। नार्ने कहते हैं, 'हम नहीं कह सकते हैं कि चांदी की कीमत उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी हैं, पर इसमें किसी भी समय 25 से 30 फीसदी का करेक्शन देखने को मिल सकता है।'

पश्चिम एशिया में हालात सामान्य होते नजर आ रहे हैं और डॉलर भी मजबूत होता जा रहा है और इस कारण से सोने की कीमतों में भी कभी भी 10 से 15 फीसदी का करेक्शन आ सकता है।

यही कारण है कि वोहरा जैसे नए निवेशकों को मौजूदा स्तर पर इन धातुओं से दूर रहने की सलाह दी जाती है। जब इनकी कीमतों में करेक्शन आएगा तब निवेश की बेहतर संभावनाएं बन सकती हैं। आदित्य बिड़ला मनी में बिजनेस डेवलपमेंट और रिसर्च (कमोडिटीज और करेंसी) के प्रमुख अमर सिंह कहते हैं, 'अक्षय तृतीया के मौके पर मैं चांदी के बजाय सोना खरीदने की सलाह दूंगा।

वित्तीय योजनाकारों की राय भी कुछ ऐसी ही है। पराग पारिख फाइनैंशियल सर्विसेज के उपाध्यक्ष जयंत पई कहते हैं, 'निवेशक सोने में थोड़ा-थोड़ा निवेश कर सकते हैं। चांदी में निवेश के सीमित विकल्प हैं। वह सुझाव देते हैं कि जो लोग महंगी धातुओं में निवेश करना चाहते हैं, वे अपने इस निवेश की कुल रकम में से 25 फीसदी रकम सोने में निवेश कर सकते हैं। हालांकि सारा पैसा एक बार में न लगाकर थोड़े-थोड़े टुकड़ों में निवेश किया जा सकता है। पई का सुझाव है कि फिलहाल अपने कुल निवेश पोर्टफोलियो में केवल 5 फीसदी हिस्सा महंगी धातुओं का रखें। हालांकि सामान्य स्थिति में आपके कुल पोर्टफोलियो में सोने की हिस्सेदारी 10 फीसदी हो सकती है।

अगर महंगी धातुओं में निवेश करना चाहते हैं तो विशेषज्ञ गोल्ड फीडर फंडों और नैशनल स्पॉट एक्सचेंज के ई-सीरीज की सलाह देते हैं। इनमें निवेश किफायती होता है और इसके लिए सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (सिप) का विकल्प भी अपनाया जा सकता है। ई-सीरीज के साथ एक समस्या यह है कि इनमें निवेश के लिए अलग से डीमैट खाता होना जरूरी है। गोल्ड फीडर फंडों के लिए डीमैट खाते की जरूरत नहीं होती है।

अगर आपके पास डीमैट खाता नहीं है तो केवल सोना खरीदने के लिए इसे खुलवाने में कोई चतुराई नहीं है और इस कारण से गोल्ड फीडर फंडों में निवेश एक बेहतर विकल्प हो सकता है। यहां खर्च अनुपात एक मसला हो सकता है जो 1.5 है। यह गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों से अधिक है पर डीमैट रखरखाव के खर्च को शामिल कर दें तो यह अधिक महंगा हो जाता है।

ई-सीरीज के जरिए निवेश भी इतना ही महंगा होता है, मगर सिर्फ पहले महीने में। दूसरे महीने से खर्च कम होने लगता है और केवल ब्रोकरेज शुल्क ही चुकाना पड़ता है। अगर आप भौतिक डिलिवरी चुनें तो यह महंगा विकल्प हो सकता है। यहां आपको 200 रुपये डिलिवरी शुल्क और डिपॉजिटरी के हर ऐसे आवेदन पर 50 रुपये का शुल्क अदा करना पड़ता है।

सोने की कीमत फिलहाल जिस स्तर पर है, अगर आपको तत्काल उपभोग न करना हो तो आप सोने के आभूषण नहीं खरीदना चाहेंगे। अक्षय तृतीया के लिए आभूषण निर्माता पहले से सोने के आभूषण, बार और सिक्कों की बुकिंग कर रहे हैं जो आज की कीमत के हिसाब से होगी। सोने की कीमत जिस दर से बढ़ रही है, उससे तो यही लगता है कि इस शुभ दिन सोने की कीमत आज की कीमत से अधिक ही होगी। ऐसे में आप चाहें तो आज ही अक्षय तृतीया के लिए सोने की बुकिंग करा सकते हैं।
~
Source :BS