Tuesday, May 3, 2011

क्रेडिट पॉलिसीः दरें बढ़ीं; अब महंगा होगा कर्ज

आरबीआई ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में 0.5 फीसदी की बढ़ोतरी की है। आरबीआई की दरों में बढ़ोतरी के फैसले के बाद ज्यादातर बैंकों द्वारा कर्ज महंगा करने की संभावना है। होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन सभी महंगा होने की आशंका है।

आरबीआई ने रेपो रेट में 0.5 फीसदी की बढ़ोतरी करते हुए इसे 7.25 फीसदी कर दिया है। 0.5 फीसदी बढ़ोतरी के बाद रिवर्स रेपो रेट 6.25 फीसदी हो गई है। हालांकि आरबीआई ने सीआरआर में कोई बदलाव नहीं किया है और ये 6 फीसदी पर बरकरार है।

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के मुताबिक रिजर्व बैंक का दरें बढ़ाने का फैसला सही है और सरकार इस कदम का स्वागत करती है। घरेलू स्तर पर महंगाई की बढ़ोतरी रोकने के लिए आरबीआई का दरें बढ़ाना जरुरी था।

क्रिसिल के चीफ इकॉनॉमिस्ट डी के जोशी के मुताबिक आरबीआई ने उम्मीद से ज्यादा दरें बढ़ाई हैं। वित्त वर्ष 2011 में महंगाई आरबीआई के अनुमान से हमेशा ज्यादा रही और इस बार कोई जोखिम ना उठाते हुए आरबीआई ने 50 आधार अंकों की बढ़त की है।

डी के जोशी के मुताबिक बैंकों के ब्याज दर निश्चित रुप से बढ़ेंगें और इतने ऊंची ब्याज दरों के साथ देश का 8 फीसदी जीडीपी ग्रोथ का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल होगा। हालांकि डी के जोशी का मानना है कि अगर ब्याज दरें बढ़ेंगी तो जमा दरें भी बढ़ेंगी और आम जनता पर इसका ज्यादा नकारात्मक असर नहीं होगा।

जे पी मॉर्गन के सीनियर इकॉनिमिस्ट साजिद चिनॉय के मुताबिक 0.50 फीसदी की बढ़त उम्मीद के मुताबिक ही है। आरबीआई ने क्रेडिट पॉलिसी में पारदर्शिता लाने की कोशिश के तहत पॉलिसी नियमों में बदलाव किया है। ग्रोथ को बनाए रखने के साथ महंगाई घटाने के लिए आरबीआई ने लिक्विडिटी से समझौता करने के संकेत दिए हैं।

आईडीबीआई बैंक के ईडी आर के बंसल के मुताबिक आरबीआई की दरों में 0.5 फीसदी की बढ़त के बाद लगभग सभी बैंक कर्ज की दरों में 0.5 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकते हैं। सेविंग बैंक रेट को 0.5 फीसदी बढ़ाने से बैंकों के मार्जिन में गिरावट आएगी। ऐसे में बैंकों को ग्राहकों पर कर्ज महंगा करके बोझ डाला जाएगा। हालांकि फिलहाल एफडी पर ब्याज घटाने की संभावना नहीं है।

आर के बंसल के मुताबिक फिलहाल बैंकों के नेट इंटरेस्ट मार्जिन पर दबाव नहीं देखा जाएगा। ज्यादातर बैंक पहले कर्ज पर ब्याज दरें बढ़ाएंगे और बाद में जमा पर दरें बढ़ा सकते हैं जिससे नेट इंटरेस्ट मार्जिन पर असर नहीं होगा।

एचडीएफसी के सीईओ और वाइस चेयरमैन के के मिस्त्री के मुताबिक रेपो रेट बढ़ने से बैंको के बेस रेट बढ़ेंगे। बेस रेट में 0.5 फीसदी की बढ़त की उम्मीद है। पुराने होम लोन पर ब्याज नहीं बढ़ेगा लेकिन आगे चलकर नए होम लोन पर ब्याज दरें बढ़ाई जा सकती हैं। के के मिस्त्री के मुताबिक हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को कर्ज की मांग में गिरावट आने की संभावना नहीं है।

युनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के ईडी एस एल बंसल के मुताबिक आरबीआई के कद के बाद कर्ज पर ब्याज दरें बढ़ना निश्चित है। रेपो रेट बढ़ाने से और प्रोविजनिंग बढ़ाने के नए नियम से बैंकों के पास कोई विकल्प नहीं बचा है। बैंक के कॉस्ट ऑफ डिपॉजिट में 120 करोड़ रुपये की बढ़त हो सकती है।

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एमडी दिवाकर गुप्ता के मुताबिक रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट बढ़ने से बैंको को ब्याज दरें बढ़ानी होंगी। सेविंग रेट में बढ़त से बैंकों के ऊपर 5500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। हालांकि सेविंग बैंक रेट में बढ़त के बाद क्रेडिट में सुधार हो सकता है।

बैंक ऑफ बड़ौदा के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर आर के बख्शी के मुताबिक बैंक बेस रेट में बदलाव करने पर विचार कर रहा है। सेविंग रेट में बढ़त से बैंक के खर्चे में 250-300 करोड़ रुपये की बढ़त होगी।

आरबीआई ने आगे से क्रेडिट पॉलिसी के तहत सिर्फ रेपो रेट में बदलाव करने की घोषणा की है। आगे से रिवर्स रेपो रेट को रेपो रेट से 1 फीसदी कम रखने की योजना अमल में लाई जाएगी। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2012 के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 8.6 फीसदी से घटाकर 8 फीसदी कर दिया है। आरबीआई को सितंबर 2011 तक महंगाई दर के 9 फीसदी और मार्च 2012 तक 6 फीसदी रहने का अनुमान है। आरबीआई का मानना है कि सरकार को खर्चों की क्वालिटी पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। आरबीआई की अगली क्रेडिट पॉलिसी 16 जून को आएगी।
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स्रोत : Moneycontrol