पर्याप्त पैसों का अभाव या फिर मन के अंदर बैठा हुआ इस बात का भय कि कहीं हमारे पैसे डूब न जाएं हम निवेश या बचत की शुरुआत ही नहीं करते।
निवेश की शुरुआत नहीं करने कीयही दो मुख्य वजहें हो सकती हैं। हम यह भी सोचते हैं कि निवेश एक बार किया जाने वाला काम है, जबकि वास्तविकता यह है कि निवेश एक प्रक्रिया है। निवेश के लिए आपके पास एकमुश्त बड़ी राशि का होना जरुरी नहीं है। निवेश की शुरुआत आप थोड़ी पूंजी से भी कर सकते हैं।निवेश के तमाम विकल्प बाजार में भरे पड़े हैं।
म्युचुअल फंड, शेयर, बैंकों की सावधि जमा योजनाएं, डाकघरों की विभिन्न योजनाएं, सोना, रियल एस्टेट आदि निवेश के विकल्पों में शामिल हैं। विशेषज्ञों की माने तो म्युचुअल फंड निवेश का सबसे बढ़िया विकल्प है। थोड़े पैसों से भी आप इस माध्यम से अपनी निवेश योजना की शुरुआत कर सकते हैं। म्युचुअल फंडों की विभिन्न प्रकार की योजनाएं होती हैं, तरलता और प्रतिफल की दृष्टि से भी ये बेहतर हैं।
इनकी कुछ योजनाएं ऐसी हैं जिनमें निवेश कर आप कर में भी बचत कर सकते हैं। म्युचुअल फंड में आपक ी मेहनत की कमाई का प्रबंधन पेशेवर प्रबंधक करते हैं। इसमें नियमित तौर पर निवेश कर आप एक खास समयावधि में धन-कोष का निर्माण करते हैं, साथ ही बाजार के अल्पावधि के उतार-चढ़ावों का आपके निवेश पर कम प्रभाव पड़ता है।
म्युचुअल फंड में निवेश के लिए आपके पास थोड़े से पैसे, निवेश की योजना, धैर्य और समय का होना जरुरी है।योजना बनाकर करें निवेश निवेश एक योजना के तहत की जानी चाहिए। अधिकांश निवेशक निवेश-प्रक्रिया की शुरुआत बिना उद्देश्य तय किए शुरु कर देते हैं, उन्हें यह भी पता नहीं होता कि पोर्टफोलियो में इक्विटी और ऋण किस अनुपात में रखा जाना चाहिए।
नए निवेशकों को कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए। अगर आप अपने निवेश करने की शुरुआत करना चाहते हैं तो अल्पावधि, मध्यावधि एवं दीर्घावधि के अपने एवं अपने वित्तीय लक्ष्यों को पहले तय कर लें। मान लीजिए कि आप दो साल बाद विदेश में छुट्टियां मनाने जाना चाहते हैं तो यह आपक ीअल्पावधि का लक्ष्य हुआ।
15 साल बाद पुत्री की शादी मध्यावधि के लक्ष्य के अंतर्गत आता है और सेवानिवृत्ति की व्यवस्था करना दीर्घावधि के लक्ष्यों में शामिल है। विभिन्न वित्तीय लक्ष्यों के आघार पर ही विभिन्न जगहों पर निवेश किया जाना चाहिए और इनमें अपनी जोखिम उठाने की क्षमताओं का भी खास खयाल रखा जाना चाहिए।पेशेवरों की मदद भी ले सकते हैंगलत तरीके से निवेश करने से बेहतर है कि कुछ पैसे खर्च कर आप निवेश सलाहकार की मदद लें।
एक पेशेवर और अनुभवी वित्तीय योजनाकार न केवल आपको निवेश की बेहतर योजना बता सकता है बल्कि यह भी बता सकता है कि आपको अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए निवेश किन उपकरणों में करना चाहिए। सही निवेश सलाहकार की तलाश कीजिए। आजकल बाजार में निवेश सलाहकारों की कमी नहीं है, जरुरी नहीं कि सब के सब इस क्षेत्र के जानकार ही हों।लक्ष्यों के मामलों में समझौते न करेंकई लोग आपको ऐसे मिलेंगे जो बचत या निवेश तो अपने बच्चे की पढ़ाई के लिए कर रहे थे लेकिन कार खरीदने की ईच्छा हुई तो इन्हीं पैसों से कार खरीद लिया।
लक्ष्यों के साथ इस तरह के समझौते नहीं किए जाने चाहिए। कुछ मामलों में इस तरीके से पैसों की निकासी की जा सकती है, जैसे परिवार के किसी सदस्य की शल्य-क्रिया होनी हो और उसमें ज्यादा पैसे खर्च होने वाले हों। अगर ऐसी कोई आपातकालीन परिस्थिति न हो तो आपको अपने दीर्घावधि के लक्ष्यों पर अडिग रहना चाहिए।
छोटी-छोटी जरुरतों के लिए आप अन्य विकल्पों का सहारा ले सकते हैं।औरों के बहकावे में न आएंकभी कभार विशेषज्ञों की सलाह की जरुरत होना लाजिमी है। लेकिन निर्णय लेने की प्रक्रिया में एक निवेशक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। एक निवेशक अपने उद्देश्यों और अपनी जोखिम उठाने की क्षमताओं के बारे में जितना समझता है, कोई दूसरा नहीं समझता है।
जहां एक वित्तीय योजना सलाहकार निवेश के विक ल्पों के चुनाव और निवेश प्रक्रिया का निर्धारण करने में आपकी मदद करता है वहीं विभिन्न मानदंडों को निर्धारित करने में आपकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है। किसी पड़ोसी या दोस्त आदि के बहकावे में आकर अपनी निवेश योजना में परिवर्तन न करें।
गारंटीड प्रतिफल बनाम म्युचुअल फंडकई निवेशक ऐसे होते है जिनकी चाहत गारंटीड प्रतिफल पाने की होती है। इस तरह के निवेशक सावधि जमाओं एवं आवर्ती जमाओं में अपने पैसे जमा करते हैं। म्युचुअल फंड जैसे निवेश के विकल्प उनको केवल इसलिए नहीं भाते क्योंकि इनका प्रतिफल गारंटीड नहीं होता है। निवेश से जुड़े जोखिम एवं अर्थव्यवस्था की अनिश्चितता से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन म्युचुअल फंड कंपनियों के अनुभव, शोध और विश्लेषण इतने अच्छे होते हैं कि विभिन्न वर्ग के निवेशक इसके माध्यम से अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
पेशेवर फंड प्रबंधकों की विशेषज्ञता से लाभ उठाने के लिए जरुरी है कि आप वैसे फंड में निवेश करें जिसका उद्देश्य आपके उद्देश्यों से मेल खाता हो। गारंटीड प्रतिफल के लिए म्युचुअल फंडों द्वारा पेश की जाने वाली कैपिटल प्रोटेक्शन ओरियेंटेड स्कीम ( सीपीओएफ ) का चुनाव किया जा सकता है।
जोखिम उठाना है तो शामिल कीजिए इक्विटी को, इक्विटी आपके पोर्टफोलियो का एक महत्वपूर्ण घटक होता है। इक्विटी में वह ताकत है तो दीर्घावधि में महंगाई को मात दे सकता है। इससे लाभ लेने के लिए जरुरी है कि आप नियमित रुप से स्टॉक में निवेश करते रहें। इक्विटी से अल्पावधि में लाभ की आशा न रखें। अगर आप म्युचुअल फंड के माध्यम से इक्विटी में निवेश करना चाहते हैं तो ऐतिहासिक तौर पर बेहतर प्रदर्शन करने वाले किसी भी इक्विटी फंड में सिप के माध्यम से इसकी शुरुआत कर सकते हैं।
बचत और निवेश में एक बड़ा फर्क है। बचत में हम पैसों की वृध्दि पर अधिक ध्यान नहीं देते। इसके तहत हमारा लक्ष्य केवल पैसे जोड़ने का होता है। निवेश में पैसों को बढ़ाने की ताकत होती है और इस महंगाई के जमाने में हर कोई पैसे बढ़ता देखना चाहता है। ध्यान रखने लायक बात यह होनी चाहिए कि आप निवेश के उन्हीं उपकरणों या विकल्पों का चयन करें जो आपकी लक्ष्य-प्राप्ति में आपके मददगार हो सकते हैं साथ ही जो आपकी जोखिम उठाने की क्षमता के अनुरूप हों।
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स्रोत : बीएस
निवेश की शुरुआत नहीं करने कीयही दो मुख्य वजहें हो सकती हैं। हम यह भी सोचते हैं कि निवेश एक बार किया जाने वाला काम है, जबकि वास्तविकता यह है कि निवेश एक प्रक्रिया है। निवेश के लिए आपके पास एकमुश्त बड़ी राशि का होना जरुरी नहीं है। निवेश की शुरुआत आप थोड़ी पूंजी से भी कर सकते हैं।निवेश के तमाम विकल्प बाजार में भरे पड़े हैं।
म्युचुअल फंड, शेयर, बैंकों की सावधि जमा योजनाएं, डाकघरों की विभिन्न योजनाएं, सोना, रियल एस्टेट आदि निवेश के विकल्पों में शामिल हैं। विशेषज्ञों की माने तो म्युचुअल फंड निवेश का सबसे बढ़िया विकल्प है। थोड़े पैसों से भी आप इस माध्यम से अपनी निवेश योजना की शुरुआत कर सकते हैं। म्युचुअल फंडों की विभिन्न प्रकार की योजनाएं होती हैं, तरलता और प्रतिफल की दृष्टि से भी ये बेहतर हैं।
इनकी कुछ योजनाएं ऐसी हैं जिनमें निवेश कर आप कर में भी बचत कर सकते हैं। म्युचुअल फंड में आपक ी मेहनत की कमाई का प्रबंधन पेशेवर प्रबंधक करते हैं। इसमें नियमित तौर पर निवेश कर आप एक खास समयावधि में धन-कोष का निर्माण करते हैं, साथ ही बाजार के अल्पावधि के उतार-चढ़ावों का आपके निवेश पर कम प्रभाव पड़ता है।
म्युचुअल फंड में निवेश के लिए आपके पास थोड़े से पैसे, निवेश की योजना, धैर्य और समय का होना जरुरी है।योजना बनाकर करें निवेश निवेश एक योजना के तहत की जानी चाहिए। अधिकांश निवेशक निवेश-प्रक्रिया की शुरुआत बिना उद्देश्य तय किए शुरु कर देते हैं, उन्हें यह भी पता नहीं होता कि पोर्टफोलियो में इक्विटी और ऋण किस अनुपात में रखा जाना चाहिए।
नए निवेशकों को कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए। अगर आप अपने निवेश करने की शुरुआत करना चाहते हैं तो अल्पावधि, मध्यावधि एवं दीर्घावधि के अपने एवं अपने वित्तीय लक्ष्यों को पहले तय कर लें। मान लीजिए कि आप दो साल बाद विदेश में छुट्टियां मनाने जाना चाहते हैं तो यह आपक ीअल्पावधि का लक्ष्य हुआ।
15 साल बाद पुत्री की शादी मध्यावधि के लक्ष्य के अंतर्गत आता है और सेवानिवृत्ति की व्यवस्था करना दीर्घावधि के लक्ष्यों में शामिल है। विभिन्न वित्तीय लक्ष्यों के आघार पर ही विभिन्न जगहों पर निवेश किया जाना चाहिए और इनमें अपनी जोखिम उठाने की क्षमताओं का भी खास खयाल रखा जाना चाहिए।पेशेवरों की मदद भी ले सकते हैंगलत तरीके से निवेश करने से बेहतर है कि कुछ पैसे खर्च कर आप निवेश सलाहकार की मदद लें।
एक पेशेवर और अनुभवी वित्तीय योजनाकार न केवल आपको निवेश की बेहतर योजना बता सकता है बल्कि यह भी बता सकता है कि आपको अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए निवेश किन उपकरणों में करना चाहिए। सही निवेश सलाहकार की तलाश कीजिए। आजकल बाजार में निवेश सलाहकारों की कमी नहीं है, जरुरी नहीं कि सब के सब इस क्षेत्र के जानकार ही हों।लक्ष्यों के मामलों में समझौते न करेंकई लोग आपको ऐसे मिलेंगे जो बचत या निवेश तो अपने बच्चे की पढ़ाई के लिए कर रहे थे लेकिन कार खरीदने की ईच्छा हुई तो इन्हीं पैसों से कार खरीद लिया।
लक्ष्यों के साथ इस तरह के समझौते नहीं किए जाने चाहिए। कुछ मामलों में इस तरीके से पैसों की निकासी की जा सकती है, जैसे परिवार के किसी सदस्य की शल्य-क्रिया होनी हो और उसमें ज्यादा पैसे खर्च होने वाले हों। अगर ऐसी कोई आपातकालीन परिस्थिति न हो तो आपको अपने दीर्घावधि के लक्ष्यों पर अडिग रहना चाहिए।
छोटी-छोटी जरुरतों के लिए आप अन्य विकल्पों का सहारा ले सकते हैं।औरों के बहकावे में न आएंकभी कभार विशेषज्ञों की सलाह की जरुरत होना लाजिमी है। लेकिन निर्णय लेने की प्रक्रिया में एक निवेशक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। एक निवेशक अपने उद्देश्यों और अपनी जोखिम उठाने की क्षमताओं के बारे में जितना समझता है, कोई दूसरा नहीं समझता है।
जहां एक वित्तीय योजना सलाहकार निवेश के विक ल्पों के चुनाव और निवेश प्रक्रिया का निर्धारण करने में आपकी मदद करता है वहीं विभिन्न मानदंडों को निर्धारित करने में आपकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है। किसी पड़ोसी या दोस्त आदि के बहकावे में आकर अपनी निवेश योजना में परिवर्तन न करें।
गारंटीड प्रतिफल बनाम म्युचुअल फंडकई निवेशक ऐसे होते है जिनकी चाहत गारंटीड प्रतिफल पाने की होती है। इस तरह के निवेशक सावधि जमाओं एवं आवर्ती जमाओं में अपने पैसे जमा करते हैं। म्युचुअल फंड जैसे निवेश के विकल्प उनको केवल इसलिए नहीं भाते क्योंकि इनका प्रतिफल गारंटीड नहीं होता है। निवेश से जुड़े जोखिम एवं अर्थव्यवस्था की अनिश्चितता से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन म्युचुअल फंड कंपनियों के अनुभव, शोध और विश्लेषण इतने अच्छे होते हैं कि विभिन्न वर्ग के निवेशक इसके माध्यम से अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
पेशेवर फंड प्रबंधकों की विशेषज्ञता से लाभ उठाने के लिए जरुरी है कि आप वैसे फंड में निवेश करें जिसका उद्देश्य आपके उद्देश्यों से मेल खाता हो। गारंटीड प्रतिफल के लिए म्युचुअल फंडों द्वारा पेश की जाने वाली कैपिटल प्रोटेक्शन ओरियेंटेड स्कीम ( सीपीओएफ ) का चुनाव किया जा सकता है।
जोखिम उठाना है तो शामिल कीजिए इक्विटी को, इक्विटी आपके पोर्टफोलियो का एक महत्वपूर्ण घटक होता है। इक्विटी में वह ताकत है तो दीर्घावधि में महंगाई को मात दे सकता है। इससे लाभ लेने के लिए जरुरी है कि आप नियमित रुप से स्टॉक में निवेश करते रहें। इक्विटी से अल्पावधि में लाभ की आशा न रखें। अगर आप म्युचुअल फंड के माध्यम से इक्विटी में निवेश करना चाहते हैं तो ऐतिहासिक तौर पर बेहतर प्रदर्शन करने वाले किसी भी इक्विटी फंड में सिप के माध्यम से इसकी शुरुआत कर सकते हैं।
बचत और निवेश में एक बड़ा फर्क है। बचत में हम पैसों की वृध्दि पर अधिक ध्यान नहीं देते। इसके तहत हमारा लक्ष्य केवल पैसे जोड़ने का होता है। निवेश में पैसों को बढ़ाने की ताकत होती है और इस महंगाई के जमाने में हर कोई पैसे बढ़ता देखना चाहता है। ध्यान रखने लायक बात यह होनी चाहिए कि आप निवेश के उन्हीं उपकरणों या विकल्पों का चयन करें जो आपकी लक्ष्य-प्राप्ति में आपके मददगार हो सकते हैं साथ ही जो आपकी जोखिम उठाने की क्षमता के अनुरूप हों।
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स्रोत : बीएस