धन का प्रबंधन हमेशा से ही उलझन भरा जान पड़ता है। हमें एक साथ कई बातों पर गौर करना पड़ता है। कभी घरेलू तो कभी अंतरराष्ट्रीय पहलू हमारी वित्तीय स्थिति पर असर डालते हैं। पर अगर कोई व्यक्ति नियमित अंतराल पर निवेश करता है तो उसके लिए कुछ नियम और शर्तें कभी नहीं बदलती हैं। अर्थव्यवस्था में चाहे कितना ही उतार चढ़ाव क्यों न आए, कुछ बुनियादी बातों को ध्यान रखकर आप आसानी से अपने पैसे का प्रबंधन कर सकते हैं।
आज की तारीख में निवेश के विकल्पों की कोई कमी नहीं है। मुंबई के एक वित्तीय सलाहकार शिव गुप्ता के मुताबिक, 'भारत जैसे विकासशील देश में निवेश के लिए म्युचुअल फंड और इक्विटी सबसे पसंदीदा विकल्प हैं। हालांकि अगर वैश्विक स्तर पर बात करें तो गोल्ड या सिल्वर ईटीएफ, तेल बॉन्ड और कमोडिटीज जैसी ढेरों संभावनाएं मौजूद हैं।' गुप्ता का मानना है कि अगर युवावस्था में ही निवेश की शुरुआत कर दी जाए और निवेशक को अपनी वित्तीय जरूरतों के बारे में पता है तो वह अपनी वित्तीय योजनाएं खुद तैयार कर सकता है।
समझें अपने धन को: धन का मतलब केवल मुद्रा या सिक्के नहीं होता है। अगर कोई खुद अपने पैसे का प्रबंधन करना चाहता है तो उसे सबसे पहले यह समझना होगा कि मौजूदा समय में उसकी वित्तीय जरूरतें कौन-कौन सी हैं। इन्हें समझकर ही वह खुद के लिए फैसले ले सकेगा। अपनी आय, खर्च और बचत के स्रोतों का पता लगाकर ही आप ठीक तरीके से अपनी वित्तीय स्थिति का आकलन कर सकेंगे। उदाहरण के लिए कुछ लोग उधार लेकर भी अपनी मासिक सिस्टमैटिक निवेश योजना (एसआईपी) में पैसे लगाते रहते हैं क्योंकि उनका खर्च, उनकी आय से ज्यादा है। अगर आप ऐसा करते हैं तो निश्चित रूप से आप भी कर्ज के भंवर में फंस सकते हैं।
क्रेडिट कार्ड से तौबा करें: अगर आप समय पर अपने क्रेडिट कार्ड का बिल नहीं चुका पाते हैं तो आपको 40 फीसदी तक की भारी भरकम दर पर ब्याज भरना पड़ सकता है। जाहिर है आप बड़ी मुश्किल में पड़ सकते हैं। जो लोग अपने पैसे का प्रबंधन ठीक तरीके से करते हैं, उन्हें शायद ही कभी 'प्लास्टिक मनी (क्रेडिट कार्ड)Ó की जरूरत पड़ती है। एक बार अगर आपको क्रेडिट कार्ड की आदत पड़ जाती है तो आप बिना सोचे समझे खर्च करने लगते हैं। क्रेडिट कार्ड कंपनियां बड़े आक्रामक तरीके से कार्ड बेचती हैं। वे आपको यह कहकर कार्ड बेचेंगी कि इस पर कोई शुल्क नहीं वसूला जाएगा या फिर भुगतान को मासिक किस्तों में बांटने की भी सुविधा दी जाएगी। मगर इसके साथ जो शर्तें जुड़ी होंगी उसके बारे में आपको जानकारी नहीं दी जाएगी। भले ही कोई अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करे या न करे, उसे कार्ड पर सेवा कर का भुगतान तो करना ही होगा। हालांकि संकट के समय या अचानक जरूरत पडऩे पर क्रेडिट कार्ड कई दफा फायदेमंद होते हैं, पर इनके इस्तेमाल में लापरवाही बरतना आपके लिए खतरनाक हो सकता है।
निवेश में सावधानी बरतें: आप जब कभी भी अपना पैसा कहीं लगाएं तो यह हमेशा याद रखें कि कुछ खास किस्म में निवेश विकल्पों के साथ हमेशा जोखिम जुड़ा रहता है। उदाहरण के लिए अगर आप मिड कैप या स्मॉल कैप शेयरों में पैसा लगा रहे हैं तो आपको मोटा रिटर्न मिलने की गुंजाइश तो रहती है, मगर आप उतनी ही तेजी से अपना पैसा खो भी सकते हैं। बेहतर है कि आप किसी एक जगह पर अपना पैसा न लगाकर अलग अलग जगह पर निवेश करें।
लंबी अवधि के लिए निवेश करें: अक्सर कहा जाता है कि लंबी अवधि की निवेश रणनीति अपनाएं। और वाकई में यह फायदेमंद भी होता है। अच्छी जगह पर निवेश की गई रकम हमेशा अच्छा रिटर्न देगी, बशर्ते कि आप धीरज रखें। अपने पैसे का मोल रखना सीखें। अगर अपने जीवन में आप कभी भी पैसे के प्रति लापरवाही बरतते हैं तो इससे न केवल आपको इसका खामियाजा तत्काल भुगतना पड़ सकता है बल्कि आगे भी आपके लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं।
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स्रोत : बीएस
आज की तारीख में निवेश के विकल्पों की कोई कमी नहीं है। मुंबई के एक वित्तीय सलाहकार शिव गुप्ता के मुताबिक, 'भारत जैसे विकासशील देश में निवेश के लिए म्युचुअल फंड और इक्विटी सबसे पसंदीदा विकल्प हैं। हालांकि अगर वैश्विक स्तर पर बात करें तो गोल्ड या सिल्वर ईटीएफ, तेल बॉन्ड और कमोडिटीज जैसी ढेरों संभावनाएं मौजूद हैं।' गुप्ता का मानना है कि अगर युवावस्था में ही निवेश की शुरुआत कर दी जाए और निवेशक को अपनी वित्तीय जरूरतों के बारे में पता है तो वह अपनी वित्तीय योजनाएं खुद तैयार कर सकता है।
समझें अपने धन को: धन का मतलब केवल मुद्रा या सिक्के नहीं होता है। अगर कोई खुद अपने पैसे का प्रबंधन करना चाहता है तो उसे सबसे पहले यह समझना होगा कि मौजूदा समय में उसकी वित्तीय जरूरतें कौन-कौन सी हैं। इन्हें समझकर ही वह खुद के लिए फैसले ले सकेगा। अपनी आय, खर्च और बचत के स्रोतों का पता लगाकर ही आप ठीक तरीके से अपनी वित्तीय स्थिति का आकलन कर सकेंगे। उदाहरण के लिए कुछ लोग उधार लेकर भी अपनी मासिक सिस्टमैटिक निवेश योजना (एसआईपी) में पैसे लगाते रहते हैं क्योंकि उनका खर्च, उनकी आय से ज्यादा है। अगर आप ऐसा करते हैं तो निश्चित रूप से आप भी कर्ज के भंवर में फंस सकते हैं।
क्रेडिट कार्ड से तौबा करें: अगर आप समय पर अपने क्रेडिट कार्ड का बिल नहीं चुका पाते हैं तो आपको 40 फीसदी तक की भारी भरकम दर पर ब्याज भरना पड़ सकता है। जाहिर है आप बड़ी मुश्किल में पड़ सकते हैं। जो लोग अपने पैसे का प्रबंधन ठीक तरीके से करते हैं, उन्हें शायद ही कभी 'प्लास्टिक मनी (क्रेडिट कार्ड)Ó की जरूरत पड़ती है। एक बार अगर आपको क्रेडिट कार्ड की आदत पड़ जाती है तो आप बिना सोचे समझे खर्च करने लगते हैं। क्रेडिट कार्ड कंपनियां बड़े आक्रामक तरीके से कार्ड बेचती हैं। वे आपको यह कहकर कार्ड बेचेंगी कि इस पर कोई शुल्क नहीं वसूला जाएगा या फिर भुगतान को मासिक किस्तों में बांटने की भी सुविधा दी जाएगी। मगर इसके साथ जो शर्तें जुड़ी होंगी उसके बारे में आपको जानकारी नहीं दी जाएगी। भले ही कोई अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करे या न करे, उसे कार्ड पर सेवा कर का भुगतान तो करना ही होगा। हालांकि संकट के समय या अचानक जरूरत पडऩे पर क्रेडिट कार्ड कई दफा फायदेमंद होते हैं, पर इनके इस्तेमाल में लापरवाही बरतना आपके लिए खतरनाक हो सकता है।
निवेश में सावधानी बरतें: आप जब कभी भी अपना पैसा कहीं लगाएं तो यह हमेशा याद रखें कि कुछ खास किस्म में निवेश विकल्पों के साथ हमेशा जोखिम जुड़ा रहता है। उदाहरण के लिए अगर आप मिड कैप या स्मॉल कैप शेयरों में पैसा लगा रहे हैं तो आपको मोटा रिटर्न मिलने की गुंजाइश तो रहती है, मगर आप उतनी ही तेजी से अपना पैसा खो भी सकते हैं। बेहतर है कि आप किसी एक जगह पर अपना पैसा न लगाकर अलग अलग जगह पर निवेश करें।
लंबी अवधि के लिए निवेश करें: अक्सर कहा जाता है कि लंबी अवधि की निवेश रणनीति अपनाएं। और वाकई में यह फायदेमंद भी होता है। अच्छी जगह पर निवेश की गई रकम हमेशा अच्छा रिटर्न देगी, बशर्ते कि आप धीरज रखें। अपने पैसे का मोल रखना सीखें। अगर अपने जीवन में आप कभी भी पैसे के प्रति लापरवाही बरतते हैं तो इससे न केवल आपको इसका खामियाजा तत्काल भुगतना पड़ सकता है बल्कि आगे भी आपके लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं।
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स्रोत : बीएस