Thursday, April 14, 2011

महज प्रतिफल ही नहीं, सेवा पर भी नजर डालिए जनाब

कई कंपनियां निवेशकों को ऊं चा प्रतिफल देने की बात कह कर अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास करती हैं। लेकिन दोषपूर्ण सेवा और कंपनियों द्वारा निवेश का सही तरीका नहीं अपनाने से आकर्षक प्रतिफल देने की बात खोखली साबित होती है।


जयंत हांडा ने कुछ साल पहले शहरी सहकारिता बैंक की फिक्स्ड डिपॉजिट में एक निश्चित रकम जमा की थी। चूंकि, यह निवेश कई साल पहले किया गया था, इसलिए वह भुगतान के समय रकम का दावा करना भूल गए और एक साल बाद जाकर उन्होंने दावा किया। इससे हांडा का प्रतिफल कम हो गया और उन्हें केवल बचत बैंक ब्याज ही मिला। निवेश करते समय जयंत को प्रतिफल और परिचालन की सुविधाओं के बारे में अवश्य सोचना चाहिए था लेकिन रकम की परिपक्वता के संबंध में बैंक से कोई सूचना नहीं मिलने की वजह से उन्हें निश्चित अवधि के बाद कम ब्याज मिला जिससे कुल निवेश पर उनका प्रतिफल कम हो गया।


इसी तरह कुछ साल पहले जमाकर्ताओं के लिए सरकारी बैंकों के साथ परिचालन करना काफी मुश्किल भरा था। कर्मचारियों का खराब व्यवहार, लंबी कतारें, संवाद और सूचनाओं का अभाव इसकी प्रमुख वजह थीं। हालांकि अब जाकर परिस्थितियां कुछ बेहतर हुई हैं। सेवा की गुणवत्ता में कमी निवेशक के लिए बुरा साबित होता है, क्योंकि इससे उन्हें बेहतर प्रतिफल की प्राप्ति नहीं हो पाती है। इतना ही नहीं, कुछ कंपनियां निवशकों को समय पर सूचनाएं मुहैया नहीं कराती हैं जिससे निवेश के फैसले बुरी तरह प्रभावित होते हैं। लिहाजा निवेशकों को उन कंपनियों और फंडों में निवेश करना चाहिए जिनका निवेशकों के साथ व्यवहार और सेवा का रिकॉर्ड अच्छा रहा है।

कौन मुहैया करता है निवेश सेवाएं
निवेश सेवाएं कंपनियां, म्युचुअल फंड, वित्तीय सलाहकार और अधिकृत एजेंट मुहैया कराते हैं। यह जरूरी है कि इस कड़ी में सभी अपनी भूमिकाएं बेहतर ढंग से निभाएं। हाल में ही हमने देखा था कि कैसे सिटीबैंक के एक कर्मचारी ने धन प्रबंधन ग्राहकों से पैसे लेकर
बैंक को करीब 300 करोड़ रुपये का चूना लगाया।

कैसे होती है सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित
निम्रलिखित कुछ ऐसे उदाहरण हैं जहां खराब सेवाएं आपके निवेश को प्रभावित कर सकती हैं:

  •  समय पर मूल रकम की प्राप्ति नहीं होना
  •  निवेशकों को ब्याज और लाभांश नहीं मिलना
  • योजनाओं के साथ जुड़े खर्च जिनकी शुरू में चर्चा नहीं होती (ज्यादातर यूनिट लिंक्ड पॉलिसियों में )
  • परिचालन के दौरान ब्याज या लाभांश की रकम इधर-उधर होना
  •  भ्रमित विज्ञापन
  •  गलत आंकड़े पेश किया जाना
  • निवेशकों को साथ सही सूचनाएं नहीं मुहैया कराना

शेयर बाजार में निवेश के वक्त सावधानी बरतें
शेयर बाजार में निवेश करने वाले लोगों को हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए। शेयर बाजार में निवेश करने से पहले बुनियादी बातों को समझना चाहिए। जब तक बुनियादी बातों को नहीं समझते तब तक आप निवेश के बारे में सही फैसला नहीं कर पाएंगे। ऐसे लोगों से सावधान रहें जो आपको उन शेयरों के चयन की सलाह देते हैं जो मुनाफा देने वाले नहीं होते हैं। आंख मूंद कर कोई भी फैसला करने से बचना चाहिए।

निवेशकों की सुरक्षा
निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए सरकार ने कई नियामक इकइयों का गठन किया है। मिसाल के तौर पर बैंकों के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), शेयर बाजारों के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और बीमा के लिए बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण की स्थापना की गई है। ये नियामक निवेशकों के हितों की सुरक्षा और दोषियों को सजा देने में अहम भूमिका निभाते हैं। कंपनियों के लिए भी  निवेशकों की शिकायतें और अपने आंकड़े तिमाही या सालाना आधार पर प्रकाशित करना होता है।

बेहतर सेवाएं देने वाले संगठन की करें पहचान
ऐसा आप अपने या किसी दूसरे पक्ष के अनुभव के आधार पर कर सकते हैं। अगर आप दूसरों के अनुभव या उनकी प्रतिक्रियाओं के आधार पर निवेश करते हैं तो ऐसा करने से पहले जिस इकाई में निवेश कर रहे हैं उसके बारे में पूरी जानकारी जरूर जुटा लें। इससे कंपनियों के बारे में इंटरनेट पर भी काफी सूचनाएं मिल जाती हैं। एक अच्छे स्रोत से आप उम्दा कंपनियों के बारे में जानकारियां हासिल कर सकते हैं। आप शेयर बाजार की वेबसाइट भी देख सकते हैं।

प्रीमियम पर अच्छी सेवाएं
अगर आप ऐसे शेयरों का विश्लेषण करते हैं जिनका प्रदर्शन एक खास अवधि के दौरान अच्छा रहा है तो वे निवेशकों को बेहतर सेवाएं देने वाली इकाइयां मानी जाती हैं। मिसाल के तौर पर टाटा स्टील, एचडीएफसी, एचडीएफसी बैंक, कोलगेट पामोलिव, हिंदुस्तान यूनिलीवर, हिंडाल्को कुछ ऐसी ही कंपनियां हैं। ये कंपनियां उम्दा सेवाओं और बेहतर बाजार मूल्यांकन के बदले में कुछ अधिक महंगी होती हैं। इसी तरह फंड के मामलों में जो निवेशकों को अच्छी सेवाएं देते हैं न सिर्फ उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया है बल्कि म्युचुअल फंड उद्योग में उनकी बाजार हिस्सेदारी भी अहम होती है। इस श्रेणी में एचडीएफसी म्युचुअल फंड, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्युचुअल फंड, एसबीआई म्युचुअल फंड में शामिल हैं।

निष्कर्ष
संक्षेप में यही कहा जा सकता है कि निवेशकों को सिर्फ प्रतिफल और निवेश की सुरक्षा पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए बल्कि निवेशकों को मिलने वाली सेवाओं को भी ध्यान में रखना चाहिए।
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Source : BS