Wednesday, September 21, 2011

कहीं महंगी न पड़ जाए मुफ्त की आर्र्थिक सलाह :

इस दुनिया में आपको हर बात के लिए मुफ्त में सलाह मिल जाती है। समस्या यह है कि ऐसे में फर्क करना मुश्किल होता है कि कौन सी सलाह आपके लिए बेकार की है और कौन सी वास्तव में महत्वपूर्ण है। डॉक्टर के मामले को ही लीजिए।

कई बार जब मामला समझ में नहीं आता है तो लोग दूसरे डॉक्टर से सलाह लेने में नहीं हिचकते हैं। जब फीस देकर डॉक्टर की सलाह लेने में कभी-कभार दूसरे डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत पड़ जाती है तो समझिए मुफ्त की सलाह में कितनी उलझनें होती होंगी।


एक आम भावना होती है कि जब आपको कोई चीज मुफ्त में मिलती है तो आप बिना अंतर्निहित शर्तों को समझे अपना आभर प्रकट करने लगते हैं। मुफ्त की सलाह भी कुछ ऐसी ही होती है।

चूंकि आपको यह नि:शुल्क मिलती है इसलिए आप सलाह देने वाले व्यक्ति से ज्यादा तर्क भी नहीं करते कि इसमें गलत क्या हो सकता है। आप तर्क करने की बात छोडि़ए, शिकायत भी नहीं कर सकते। यह मामला कुछ ऐसा ही होता है जैसे कोई व्यक्ति केमिस्ट के पास जाकर पेट दर्द की दवा मांगता है या कंप्यूटर की दुकान पर जाकर कौन सा कंप्यूटर या हार्डवेयर खरीदना चाहिए इसकी तहकीकात
करता है।

मुफ्त की सलाह मुफ्त की सलाह ही होती है। सलाह देने वाला व्यक्ति वास्तव में आपसे कुछ उम्मीद कर रहा होता है चाहे वह ब्यूटी/हेल्थ कंसलटेंट हो या बीमा का एजेंट। ब्यूटी और हेल्थ कंसलटेंट आपको कुछ कॉस्मेटिक्स या हेल्थ सप्लीमेंट बेचना चाहता है और बीमा एजेंट कोई पॉलिसी आपको बेचना चाह रहा होता है। उनकी सलाह भी ऐसी होती है जो ग्राहक को खरीदने के लिए प्रेरित करे। उनके नजरिये से देखें तो उनकी सफलता इसी बात में होती है कि वे कॉस्मेटिक्स के कितने कार्टून या हेल्थ सप्लीमेंट के कितने डब्बे या बीमा की कितनी पॉलिसी कितने प्रीमियम की बेच पाते हैं।

उनके सलाह की लागत इस प्रकार उनके द्वारा बेचे गए प्रोडक्ट पर निर्भर करती है। यह कुछ भी हो पर होता मुफ्त है। जैसा कि इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि सलाह किसी खास प्रोडक्ट को बेचने के लिहाज से दी गई है क्योंकि विक्रेता को इससे कहीं न कहीं लाभ हो रहा है, लेकिन दूसरी तरफ खरीदार इससे विपरीत रूप से प्रभावित हो सकता है। ऐसा भी हो सकता है कि प्रोडक्ट आंशिक रूप से खरीदार के लायक हो या फिर बिना काम का हो।

वास्तव में हम लोगों में सलाह के लिए भुगतान करने की प्रवृत्ति ही नहीं होती और अधिकांश मामलों में हम वैसे लोगों से सलाह लेने चले जाते हैं जो विक्रेता भी होते हैं। यहां वैचारिक मतभेद भी होते हैं लेकिन हम खुद को एडजस्ट कर लेते हैं। गलत व्यक्ति से सलाह लेने का मतलब है कि परिणाम दुखद होगा। इसके बावजूद अधिकतर व्यक्ति सलाह के लिए भुगतान नहीं करना चाहते।

दुनिया भर में ऐसे लोग मौजूद हैं जो शादी की प्लानिंग से लेकर तलाक लेने और जन्म दिन मनाने तक की योजना पर सलाह देते हैं। सेवा के लिए भुगतान न करने की प्रवृत्ति आश्चर्यजनक है क्योंकि हमारे देश की अर्थव्यवस्था में सर्विस इंडस्ट्री का महत्वपूर्ण योगदान है। हम विश्व को बैक ऑफिस प्रोसेसिंग सेवा देते हैं। हम डिजाइन, कानूनी और वित्तीय सेवा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देते हैं।

वैश्विक सेवा डिलिवरी में हमारा आईटी सेक्टर काफी आगे है। कई लाख लोग इन सेक्टरों में नौकरी करते हैं। अधिकतर लोगों के पास वक्त नहीं होता, या जानकारी नहीं होती या रूचि नहीं होती ताकि वे विभिन्न फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स में पैसों का निवेश करने से पहले पूरी तहकीकात कर लें। उन्हें इस बात की जानकारी लगभग नहीं ही होती है कि वह जहां निवेश कर रहे हैं उससे अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर पाएंगे या नहीं।

या फिर कितने पैसों का निवेश किस इंस्ट्रूमेंट में किया जाए ताकि लक्ष्य की प्राप्ति सहजता से की जा सके। परिसंपत्ति आवंटन, जोखिम प्रबंधन, नकद प्रवाह का प्रबंधन आदि की समझ प्रत्येक व्यक्ति को हो यह जरूरी नहीं है। अधिकतर निवेशकों के लिए ऐसे शब्द और विचार नए हो सकते हैं ऐसे में अपने फाइनेंशियल मसलों के लिए विशेषज्ञ या प्रोफेशनल की सलाह लेने में हर्ज ही क्या है? इंवेस्टमेंट एडवाइजर और वेल्थ मैनेजर यही काम शुल्क लेकर करते हैं।

निवेशकों को यह पता कर लेना चाहिए कि ऐसे वेल्थ मैनेजर या फाइनेंशियल एडवाइजर किसी संस्थान से तो नहीं जुड़े हुए। अगर उनके ताल्लुकात किसी संस्थान से हैं तो संभव है कि वह केवल उसी कंपनी के प्रोडक्ट तक अपनी सलाह सीमित रखें। अगर कोई प्रोफेशनल फाइनेंशियल एडवाइजर स्वतंत्र रूप से बिना किसी कंपनी या संस्थान विशेष से संबंध रखते हुए प्रत्येक कंपनी और प्रोडक्ट के नफा-नुकसान की जानकारी देता है तो वह किसी व्यक्ति को वित्तीय लक्ष्य प्राप्त करने में मदद कर सकता है।

केवल निवेश करने के अलावा कई व्यक्ति अपने विशेष और खास लक्ष्यों की प्राप्ति का एक खांका भी बनवाना चाहते हैं। इस मामले में फाइनेंशियल प्लानर की मदद ली जा सकती है। वह विभिन्न परिप्रेक्ष्यों को देखते हुए आपको यह बताएंगे कि आप सही रास्ते पर चल रहे हैं या नहीं और भविष्य में आपको किस तरह की नीति अपनानी चाहिए ताकि आप सुगमता से अपने आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें।

आम तौर पर फाइनेंशियल प्लानर आपके द्वारा किए गए निवेशों और बीमा आदि  की जानकारी लेते हैं और फिर आपको बताते हैं कि आपको क्या करने की जरूरत है। लेकिन यहां भी सावधानी बरतने की जरूरी है। यह जांच लें कि वह स्वतंत्र हैं या नहीं, उनकी शिक्षा, इस पेशे में उनका अनुभव कितना है और उन्हें कितने लोग जानते हैं। एक सैंपल प्लान बनवा कर जांच की जा सकती है।

यह सब करने के बाद आपको इस बात का पता चल पाएगा कि ऐसे फाइनेंशियल प्लानर आपके भविष्य के लक्ष्यों की योजना में मूल्यवर्धन करने में सक्षम हैं या नहीं। लेकिन इसके बावजूद अगर वह आपको किसी एक अनचाहे प्लान में आपको निवेश रोकने की सलाह देते हैं और आप उनका कहा मनते हैं तो आप कई हजार रुपये बचा सकते हैं।

उचित नकदी प्रबंधन के जरिये आप रिटर्न में इजाफा कर सकते हैं साथ ही इससे आपको तरलता की समस्या भी नहीं होगी और आप अपने अल्पावधि के लक्ष्यों को भी प्राप्त कर सकेंगे। उनके द्वारा सुझाए गए निवेश के विकल्प के जरिये आप अच्छी कमाई कर कसते हैं साथ ही अपने निवेश का बेहतर प्रबंध भी कर सकते हैं। इसके लिए आपको शुल्क का भुगतान करना पड़ेगा, लेकिन याद रखिए कि मुफ्त की सलाह इससे कहीं अधिक महंगी पड़ सकती है।
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Source : business bhaskar