वैश्विक दबाव की वजह से भारतीय बाजार में गिरावट लगातार बढ़ रही है, लेकिन इसके साथ ही अब भारतीय बाजार काफी सस्ता हो जाने की धारणा भी जोर पकड़ रही है।
रिलायंस म्यूचुअल फंड (Reliance Mutual Fund) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में 2008 और मौजूदा स्थितियों की तुलना करते हुए यह भरोसा जताया है कि अगले एक साल में यानी अगस्त 2012 तक सेंसेक्स वापस 23,000 पर लौट सकता है। इस समय मूल्यांकन के लिहाज से भारतीय बाजार अपनी लंबी अवधि के औसत से 10% से ज्यादा सस्ता हो चला है। रिलायंस म्यूचुअल फंड का मानना है कि बुनियादी बातों और तकनीकी विश्लेषण, दोनों लिहाज से भारतीय शेयर बाजार इस समय 2008 की तुलना में काफी बेहतर लग रहा है। इसके मुताबिक भारतीय बाजार में फिर से 2008 जैसी गिरावट आने की आशंकाएँ चीजों को सही संदर्भ में नहीं देख पाने की वजह से हैं।
इस समय काफी लोग विकसित बाजारों में दोहरी मंदी आने की आशंका जता रहे हैं। साथ ही निवेशकों को यह डर भी सता रहा है कि कई सरकारें (यूरोप में) अपने कर्जों को नहीं लौटा सकेंगी। हालाँकि रिलायंस म्यूचुअल फंड की राय यह है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में धीमापन आने की संभावना भले ही हो, लेकिन यह सोचना ठीक नहीं है कि फिर से मंदी का लौटना टाला नहीं जा सकता।
रिलायंस म्यूचुअल फंड का मानना है कि उभरते हुए बाजार भी 20008 की तुलना में आज कहीं बेहतर हालत में हैं और पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं में धीमापन आने पर कम प्रभावित होंगे। इस संदर्भ में यह ध्यान देने लायक बात है कि ज्यादातर उभरते हुए बाजारों में बीती 2-3 तिमाहियों के दौरान 20% से ज्यादा गिरावट आ चुकी है। रिपोर्ट में इस बात पर भी गौर किया गया है कि ज्यादातर उभरते हुए बाजारों में 2012 के दौरान विकास दर मजबूत रहने की उम्मीद है।
भारत में ब्याज दरें बढ़ने की चिंता बाजार पर काफी ज्यादा हावी है। लेकिन रिलायंस म्यूचुअल फंड ने कहा है कि उभरते हुए बाजारों में ब्याज दरों का चक्र पलटने का एक अहम संकेत पहले ही मिल चुका है। इस समूह के एक प्रमुख देश ब्राजील के केंद्रीय बैंक ने हाल में सबको चौंकाते हुए अपनी ब्याज दर में कटौती का फैसला किया। एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि हाल में ज्यादातर विश्लेषकों ने विश्व अर्थव्यवस्था में बढ़ने के भविष्य के अनुमानों में कटौती की है। इसके बावजूद कैलेंडर वर्ष 2012 में विश्व अर्थव्यवस्था 2011 की तुलना में अच्छी रहने की उम्मीद की जा रही है।
भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में हाल में सबसे ज्यादा चिंता ऊँची महँगाई दर और ऊँची ब्याज दर पर रही है। लेकिन यह रिपोर्ट कहती है कि दोनों बातें अब अपने चरम के पास हैं। रिलायंस म्यूचुअल फंड ने उम्मीद जतायी है कि आगे चल कर इन दोनों मोर्चों पर धीरे-धीरे अच्छी खबरें मिलती रहेंगी। इसका अनुमान है कि 2012-13 की दूसरी तिमाही (यानी अगले साल जुलाई-सितंबर) तक महँगाई दर 5% पर आ जायेगी। साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भी उस समय ब्याज दरें घटाने का चक्र शुरू कर चुका होगा। जहाँ तक भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर का सवाल है, आम राय यह है कि 2011-12 में विकास दर घट सकती है। लेकिन 2011-12 की तुलना में 2012-13 की विकास दर ज्यादा अच्छी रहने की उम्मीद जतायी जा रही है। पूँजीगत निवेश का चक्र भी अगले 6 महीनों में अपनी तलहटी से उबरना शुरू कर देगा। पूँजीगत निवेश में कमी भी बुनियादी दबाव का एक प्रमुख कारण रही है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई की ओर नीतियों में ढील दिये जाने के साथ ही 2012-13 की दूसरी तिमाही से पूँजीगत निवेश का चक्र भी ऊपर की ओर चढ़ने लगेगा।
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Source :शेयर मंथन