कोई भी मौसम हो हमारा स्वास्थ्य तभी ठीक रहता है। जब हमारा आचरण भोजन और दिनचर्या मौसम के अनुसार हो। आयुर्वेद में भी गर्मी में स्वस्थ रहने के लिए भोजन कैसा हो और क्या खाएं क्या न खाएं जैसी बातों को सपष्ट किया गया है। आइए जानते हैं हम गर्मियों के लिए कुछ स्पेशल टिप्स जिन्हें अपनाकर झुलसाने वाली गर्मी में भी हम अपने स्वास्थ्य को बरकरार रख सकते हैं।
अधिक गर्मी के कारण पित्त के विदग्ध होने से जठराग्रि मंद हो जाती है। दस्त, उल्टी, अर्जीण आदि रोग होते हैं, ऐसी स्थिति में कम आहार ग्रहण करना गर्मी में ज्यादा ठीक रहता है। ज्यादा चाय, काफी पीना, धुम्रपान और अन्य तरीके से तम्बाकू आदि का सेवन गर्मी को बढ़ाते हैं इसलिए इनके सेवन से बचना चाहिए। इससे शरीर में पित्त और गर्मी बढ़ती है। गर्मी में ठंडा पानी और पेय पदार्थ अधिक पीने चाहिए, क्योंकि गर्मी के मौसम में शरीर से अधिक पसीना निकलने के कारण पानी की कमी हो जाती है।
खस चंदन आदि का शर्बत और फलों का रस आदि पेय पदार्थों का सेवन इस ऋतु में अधिक करना चाहिए। गर्मी के मौसम में रोजाना नित्यकर्म के बाद एक ग्लास ठंडाई दूध, लस्सी और जौ या चने का सतू पानी में घोलकर पीना चाहिए। जौ को भून-पीसकर बनाया गया सतू अग्रि को तेज करने वाला, कफ-पित्तनाशक गुणयुक्त होता है। अगर सत्तू को जल में घोलकर पीया जाए तो वह बलदायक, कब्ज दूर करने वाला, मधुर होता है। दोपहर के भोजन में ऐसे हल्के आहार होने चाहिए जो शीघ्र पच सकें। भूख से थोड़ा कम खाना ही स्वास्थ्य के लिए बेहतर है। गर्मी में मांस खाना भी आयुर्वेद के अनुसार नुकसानदायक होता है।
दोपहर में सोकर उठने के बाद भुने हुए चने या जौ चबाकर ठंडा पानी पीना चाहिए। गर्मी की मौसम में पके-मीठे आम, आमरस, कच्चे आम को भूनकर बनाया गया जीरा रस का सेवन अति लाभदायक होता है। इसका रस हाजमा को बढ़ाता है। शरीर को पुष्ट भी करता है। फूलों में ककड़ी, अंगूर, खरबूजा, तरबूज आदि फल का अधिक सेवन करना चाहिए। इस मौसम में टमाटर, बधुआ, आदि के साथ-साथ नींबू, हरी धनिया, पुदीना का भी नियमित रूप से सेवन करना चाहिए।
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अधिक गर्मी के कारण पित्त के विदग्ध होने से जठराग्रि मंद हो जाती है। दस्त, उल्टी, अर्जीण आदि रोग होते हैं, ऐसी स्थिति में कम आहार ग्रहण करना गर्मी में ज्यादा ठीक रहता है। ज्यादा चाय, काफी पीना, धुम्रपान और अन्य तरीके से तम्बाकू आदि का सेवन गर्मी को बढ़ाते हैं इसलिए इनके सेवन से बचना चाहिए। इससे शरीर में पित्त और गर्मी बढ़ती है। गर्मी में ठंडा पानी और पेय पदार्थ अधिक पीने चाहिए, क्योंकि गर्मी के मौसम में शरीर से अधिक पसीना निकलने के कारण पानी की कमी हो जाती है।
खस चंदन आदि का शर्बत और फलों का रस आदि पेय पदार्थों का सेवन इस ऋतु में अधिक करना चाहिए। गर्मी के मौसम में रोजाना नित्यकर्म के बाद एक ग्लास ठंडाई दूध, लस्सी और जौ या चने का सतू पानी में घोलकर पीना चाहिए। जौ को भून-पीसकर बनाया गया सतू अग्रि को तेज करने वाला, कफ-पित्तनाशक गुणयुक्त होता है। अगर सत्तू को जल में घोलकर पीया जाए तो वह बलदायक, कब्ज दूर करने वाला, मधुर होता है। दोपहर के भोजन में ऐसे हल्के आहार होने चाहिए जो शीघ्र पच सकें। भूख से थोड़ा कम खाना ही स्वास्थ्य के लिए बेहतर है। गर्मी में मांस खाना भी आयुर्वेद के अनुसार नुकसानदायक होता है।
दोपहर में सोकर उठने के बाद भुने हुए चने या जौ चबाकर ठंडा पानी पीना चाहिए। गर्मी की मौसम में पके-मीठे आम, आमरस, कच्चे आम को भूनकर बनाया गया जीरा रस का सेवन अति लाभदायक होता है। इसका रस हाजमा को बढ़ाता है। शरीर को पुष्ट भी करता है। फूलों में ककड़ी, अंगूर, खरबूजा, तरबूज आदि फल का अधिक सेवन करना चाहिए। इस मौसम में टमाटर, बधुआ, आदि के साथ-साथ नींबू, हरी धनिया, पुदीना का भी नियमित रूप से सेवन करना चाहिए।
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स्रोत : दैनिक भाष्कर