Monday, March 21, 2011

म्यूचुअल फंड्स.....................फंड्स के प्रकार

म्यूचुअल फंड्स........फंड्स के प्रकार
संरचना द्वारा:

सतत खुली
ये ऐसी स्कीमें हैं जिनकी कोई तयशुदा परिपक्वता नहीं होती. म्यूचुअल फंड सतत - खुले फंडों की यूनिट के लिए बिक्री व पुनर्खरीद मूल्य की घोषणा द्वारा नकदीकरण सुनिश्चित करता है.

सतत बंद
ये स्कीमें तयशुदा परिपक्वता की होती हैं. निवेशक का धन एक अवधि के लिए अवरूद्ध हो जाता है. कभी-कभी सतत-बंद स्कीमें निवेशकों को एक विशिष्ट अवधि के लिए या किसी विशिष्ट अविध के बाद पुनर्खरीद विकल्प प्रदान करती हैं. इन स्कीमों में नकदीकरण एक स्टॉक मार्केट में सूचीयत के जरिए प्रदान किया जाता है. तथापि यह विकल्प भारत में उपलब्ध नहीं है.

निवेश उद्देश्य द्वारा :


इक्विटी स्कीम्स
इक्विटी स्कीम्स मुख्यत: शेयर्स में निवेश करते हैं. उद्देश्य के आधार पर निवेश ग्रोथ स्टॉक्स में किए जा सकते हैं जहाँ आय वृद्धि ऊँची रहने की अपेक्षा की जाती है या फिर वैल्यू स्टॉक्स में निवेश किया जाता है जहाँ फंड प्रबंधक का नजरिया ये होता है कि बाजारों में मौजूदा मूल्यांकन अंतिर्निहत मूल्य से प्रितबिंबित न हों. विभिन्न प्रकार का इक्विटी स्कीमें इस प्रकार हैं

* इक्विटी वैनिध्यीकृत :
सभी नॉन-थीम और नॉन-सेक्टर फंड्स को इक्विटी विविधीकृत फंड्स के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है.
* मिड कैप:
ये फंड विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियों में निवेश करते हैं. तथापि वे कंपनी के बा़जारगत पूँजीकरण की दृष्टि से प्रतिबंध लगा देते हैं यानी वे मोटे तौर पर बीएसई मिड कैप स्टॉक्स में निवेश करते हैं.
* ईएलएसएस:
ईएलएसएस एक सतत-खुली इक्विटी ग्रोथ स्कीम है जो मौजूद ईएलएसएस दिशानिर्देशों के अनुसार म्यूचुअल फंडों द्वारा की जाती है. इस प्रकार की स्कीम के तहत किए गए निवेश 3 वर्ष की लॉक इन अविध के अधीन होती है और वित्त विधेयक 2005 के अनुसार इनमें रु. 1,00,000 तक आय कटौती के लाभ की अनुमित होती है.
* थीमैटिक (ध्येयात्मक) :
ये स्कीमें विभिन्न क्षेत्रों में निवेश करती हैं लेकिन स्वयं को विशिष्ट ध्येय तक सीमित रखती हैं. उदा. सेवा, निर्यात, उपभोक्तावाद इत्यादि.
* क्षेत्र विशेष :
ये स्कीमें विशिष्ट क्षेत्र में निवेश करती हैं. उदाहरण के लिए आईटी. इनके साथ उच्च स्तर का जोखिम जु़डा होता है क्योंकि यदि उन विशिष्ट क्षेत्रों में अच्छा कार्य निष्पादन नहीं हो पाता है तो उनका प्रतिफल प्रभावित होगा.
* फ्लेक्सीकैप :
इस प्रकार की स्कीमें मार्केट कैप्स में निवेश करती है.

डेब्ट या इनकम स्कीम्स
ऐसा फंड ब्याज देनेवाली प्रतिभूतियों मुख्यत: सरकारी प्रतिभूतियो और कॉर्पोरेट बॉण्ड्स में निवेश करता है. यह फंड प्रतिभूतियों के व्यापार पर लाभ तथा उनके निवेशों पर ब्याज आय से अपने निवेशकों के लिए प्रतिफल अर्जित करता है. जोखिम की दृष्टि से इस प्रकार का फंड कम जोखिम भरा होता है.
 
मनी मार्केट स्कीम्स
ये स्कीम्स सरकार, कॉर्पोरेट या बैंकों द्वारा जारी अल्प कालिक डेट लिखतों में निवेश करती हैं. ये सीपी और सीडी जैसे अल्प कालिक पत्रों में विशिष्ट रूप से किए गए निवेश हैं.

हायब्रिड स्कीम्स

* संतुलित स्कीम्स:
संतुलित स्कीम्स इक्विटी और डेब्ट के मिश्रण में निवेश करती हैं. डेट निवेश एक मौलिक ब्याज, आय सुनिश्चित करते हैं, जिसे फंड प्रबंधक इक्विटियों में निवेश से पूँजीगत लाभ के साथ शीर्ष पर पहुँचने की आशा करता है. तथापि हानियाँ मूल ब्याज आय और पूँजी में समाहित हो सकती हैं.
* मासिक आय योजनाएँ:
एमआईपी पंरपरागत निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं जो डेब्ट में निवेश के साथ इक्विटियों में भी थो़डा निवेश करने से नहीं झिझकते. इन फंडों का लक्ष्य होता है डेब्ट मार्केट लिखतों में अपने पोर्टफोलियों का एक ब़डा हिस्सा और इक्विटियों में थो़डा सा निवेश करके प्रतिफल में सातत्य प्रदान करना. इस तरह से एमआईपी परंपरागत निवेशकों के लिए उपयुक्त होंगे जो पूँजी की सुरक्षा के साथ थोड़ा पूँजी वर्धन भी करना चाहते हैं, क्योंकि एमआईपी इक्विटियों में निवेश करते हैं तथापि मासिक आय सुनिश्चित नहीं होती है.
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Source : axisbank