Friday, March 9, 2012

कर-बचत के साथ अच्छे रिटर्न के लिए चुनें ईएलएसएस "


कर बचत के लिए निवेश का यह विकल्प जोखिम उठाने वाले निवेशकों के लिए है। ईएलएसएस शेयरों में निवेश करते हैं इसलिए इसके साथ बाजार का जोखिम जुड़ा हुआ है। लेकिन दीर्घावधि में इनका रिटर्न सबसे अच्छा रहता है।
आयकर में बचत के जितने भी विकल्प उपलब्ध हैं उनमें सबसे कम, तीन साल की, लॉक-इन अवधि ईएलएसएस की है।

इक्विटी फंडों में कम से कम पांच साल के नजरिये से निवेश करना चाहिए। पांच साल में आम तौर पर बाजार का एक चक्र पूरा हो जाता है। शेयरों में निवेश की अवधि जितनी अधिक होगी, उससे जुड़ा जोखिम उतना ही कम होता जाएगा।
बाजार के उतार-चढ़ाव या विभिन्न चक्रों से गुजरने के बाद जिन फंडों का रिटर्न बेहतर रहा है उनका चयन निवेश के लिए किया जा सकता है। कर-बचत के इस सीजन में अधिकांश ईएलएसएस भारी-भरकम लाभांश की घोषणा करते हैं, निवेशकों को इसका लालच नहीं करना चाहिए और ग्रोथ विकल्प का चयन करना चाहिए।

कैसे करें ईएलएसएस में निवेश?
ईएलएसएस में निवेश करने के कई विकल्प हैं। पहला और पारंपरिक जरिया है म्यूचुअल फंड एजेंट। इसके अलावा डीमैट खाताधारक सीधे तौर पर खरीदारी कर सकते हैं। विभिन्न एसेट मैनेजमेंट कंपनियां अपनी वेबसाइट के माध्यम से भी फंडों में निवेश की सुविधा उपलब्ध कराते हैं। कुछ वेबसाइट जैसे फंड्सइंडिया डॉट कॉम के जरिये भी ईएलएसएस फंडों में निवेश किया जा सकता है। पर निवेश से पहले नो योर कस्टमर की औपचारिकता पूरी करवाना न भूलें।

आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत आयकर में बचत के लिए एक लाख रुपये की सीमा तक जीवन बीमा योजना, पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ), एंप्लाइ प्रोविडेंट फंड, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस), टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट, एनपीएस आदि में निवेश किया जा सकता है। यह सब बचत से जुड़ी योजनाएं हैं और लोग इनका सहारा सबसे पहले लेते हैं। रिटर्न के नजरिये से देखें तो ईएलएसएस का प्रदर्शन लंबी समयावधि में सबसे बेहतर रहा है।

जोखिम उठा सकते हैं तो चुनिए ईएलएसएस
कर बचत के लिए निवेश का यह विकल्प जोखिम उठाने वाले निवेशकों के लिए है। ईएलएसएस शेयरों में निवेश करते हैं इसलिए इसके साथ बाजार का जोखिम जुड़ा हुआ है। आयकर में बचत के जितने भी विकल्प उपलब्ध हैं उनमें सबसे कम, तीन साल की, लॉक-इन अवधि ईएलएसएस की है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि इसमें सिर्फ तीन साल के लिए निवेश किया जाए। इक्विटी फंडों में कम से कम पांच साल के नजरिये से निवेश करना चाहिए। पांच साल में आम तौर पर बाजार का एक चक्र पूरा हो जाता है। शेयरों में निवेश की अवधि जितनी अधिक होगी, उससे जुड़ा जोखिम उतना ही कम होता जाएगा।

कैसे चुनें अच्छे ईएलएसएस फंड?
ईएलएसएस की श्रेणी में 40 से अधिक फंड हैं। निवेश के लिए उन फंडों का चयन किया जाना चाहिए जिनका ट्रैक रिकॉर्ड बेहतर रहा है। बाजार के उतार-चढ़ाव या विभिन्न चक्रों से गुजरने के बाद जिन फंडों का रिटर्न बेहतर रहा है उनका चयन निवेश के लिए किया जा सकता है। कर-बचत के इस सीजन में अधिकांश ईएलएसएस भारी-भरकम लाभांश की घोषणा करते हैं, निवेशकों को इसका लालच नहीं करना चाहिए और ग्रोथ विकल्प का चयन करना चाहिए। आम तौर पर ईएलएसएस के रिटर्न डिविडेंड से प्राप्त होते हैं और इसीलिए कर-मुक्त होते हैं। लांग टर्म गेन पर टैक्स नहीं लगता इसलिए पूंजीगत लाभ भी कर-मुक्त होता है।

मैच्योर हो रहे ईएलएसएस का दोबारा करें निवेश
जिन लोगों ने तीन साल पहले ईएलएसएस योजना में निवेश किया था उनके लिए यह स्वर्णिम समय है। ऐसे निवेशक बिना अपनी जेब से अतिरिक्त पैसे दिए आयकर का लाभ उठा सकते हैं। अगर ईएलएसएस में किया गया आपका निवेश तीन साल की लॉक-इन अवधि पूरी कर चुका है तो बिना अतिरिक्त लागत के आप अपने पुराने निवेश को रीसाइकल कर सकते हैं।

निकासी करते हुए करें निवेश
ईएलएसएस में निवेश के लिए करदाता आम तौर पर दो तरीके इस्तेमाल में लाते हैं- एकमुश्त निवेश और सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान या सिप। हो सकता है कि आप बाजार के इन स्तरों पर अतिरिक्त निवेश नहीं करना चाहते हैं तो आप उन यूनिटों को भुना सकते हैं जिसने तीन साल की अनिवार्य लॉक-इन अवधि पूरी कर ली है। फिर आप उन्हीं पैसों से समान स्कीम के यूनिटों की खरीदारी मौजूदा एनएवी पर कर सकते हैं। इस प्रकार आप भुनाई या निवेश की जाने वाली राशि पर कोई जोखिम नहीं उठा रहे हैं और उसी लागत पर आपके निवेश की निरंतरता भी जारी रहती है।

अगर आपने सिप के जरिए ईएलएसएस में निवेश किया है और इसकी कुछ किस्तों ने ही तीन साल की अवधि पूरी की है तो आप दूसरे सिप की शुरुआत कर सकते हैं ताकि जिन यूनिटों के 36 महीने पूरे हो जाएं उनसे निकासी करते हुए नया निवेश किया जा सके। अगर निवेश एकमुश्त किया गया है और तीन साल की अवधि पूरी हो चुकी है तो यूनिटों को एक साथ भुनाते हुए फिर से खरीदारी करनी चाहिए ताकि निवेश के लागत की निरंतरता बनी रहे। आप अपने ईएलएसएस को रीसाइकल करते हुए टैक्स में बचत का फायदा उठा सकते हैं।

ईएलएसएस से निकासी पर कर
फंड कंपनियां भुनाई गई (रिडेंप्शन) राशि पर सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) लगाती हैं। यह रिडेंप्शन वैल्यू का 0.25 फीसदी होता है। हालांकि, भुनाए गए यूनिटों से प्राप्त राशि के पुनर्निवेश पर आपको आयकर का लाभ मिलेगा और आप जिस कर वर्ग में आते हैं उसके अनुसार आयकर में 10 से 30 प्रतिशत तक की बचत कर सकते हैं।

इसके अतिरिक्त पुराने यूनिटों के रिडेंप्शन पर लगे एसटीटी की वजह से आयकर संबंधी कोई जटिलता नहीं होती है। वर्तमान में किसी कंपनी में इक्विटी शेयर के ट्रांसफर और इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड से प्राप्त मुनाफे पर निश्चित शर्तों के अनुसार कर में छूट मिलती है।
पहली शर्त यह है कि शेयर या इक्विटी ओरिएंटेड फंडों में कम से कम एक साल की अवधि के लिए निवेश किया गया हो। दूसरी शर्त यह है कि ट्रांसफर संबंधी लेन-देन पर एसटीटी लगा हो।

दोनों शर्तों को पूरा करना जरूरी है। म्यूचुअल फंड कंपनियां पहले के आपके यूनिटों के रिडेंप्शन पर सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स लगाएंगी और चूंकि आप ईएलएसएस के यूनिटों, जो आवश्यक एक साल की जगह तीन साल पूरे कर चुका है, को रीसाइकल करना चाहते हैं, इसलिए सभी पूंजीगत लाभ कर-मुक्त होंगे।
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 स्रोत : दैनिक भास्कर