Monday, September 12, 2011

सीखें सफल निवेश के कुछ गुर :

निवेश शब्द का मतलब विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग हो सकता है। निवेश करने का शुरुआती उद्देश्य यह होता है कि हम जितना लगाते हैं, उससे अधिक पा सकें। निवेश का उद्देश्य मौद्रिक हो सकता है या फिर गैर मौद्रिक भी हो सकता है। निवेशकों के लिए शेयर बाजार में निवेश करना एक ऐसा ही विकल्प है। यहां निवेश करने वाले सभी निवेशक मोटा मुनाफा कमाना चाहते हैं, मगर हर किसी को अपने इस उद्देश्य में सफलता नहीं मिलती है। किसी भी दूसरे पेशे की तरह ही यहां भी जो इस काम में सबसे कुशल होता है, वही रिटर्न में ऊपर तक पहुंच पाता है।

हालांकि निवेश करना दूसरे पेशों से कई मायनों में अलग भी है। इसके लिए आपके पास किसी औपचारिक शिक्षा का होना जरूरी नहीं है, न ही आपके ज्ञान का स्तर बहुत अधिक होना कोई शर्त है। हालांकि निवेश के जरिए जो अपेक्षित परिणाम हासिल नहीं कर पाते वे अपनी विफलता के लिए कई कारण गिना देते हैं। वे बाजार में मंदडिय़ों का हावी रहना, अपर्याप्त सूचनाएं और शेयरों की कीमतों में उम्मीद से उलट गिरावट आदि को इसके लिए दोषी ठहरा देते हैं। ऐसा कभी कभार ही देखने को मिलता है कि निवेश से अपेक्षित रिटर्न नहीं कमा पाने के लिए वे खुद की गलती स्वीकारते हैं। वे हमेशा अपने फैसले को सही ठहराते रहते हैं।

दो महत्वपूर्ण पहलू

दरअसल लालच और डर शेयर बाजार से जुड़े दो महत्वपूर्ण पहलू हैं। ज्यादातर निवेशक इन दोनों के बहाव में बह जाते हैं और निवेश की लड़ाई में आखिर में उनके हाथ केवल नुकसान ही लगता है। हालांकि बहुत कम ही लोग इस बात को समझ पाते हैं कि अगर हमने सोच समझकर निवेश का फैसला लिया होता तो हम भीड़ के साथ नहीं बल्कि भीड़ से उलट चलने की रणनीति अपनाते। मगर ऐसा बहुत कम लोग कर पाते हैं। कई बार हम भावनाओं में बहकर भी अपना नुकसान कर बैठते हैं। कई बार हमारा पूर्र्वग्रह से ग्रसित होना भी हमें गलत फैसले लेने को मजबूर कर देता है। इसका एक सीधा सा उदाहरण हम देख सकते हैं। कई दफा हम किसी कंपनी के शेयर को बस इसी वजह से खरीद लेते हैं क्योंकि उस दौरान उस क्षेत्र की दूसरी कंपनियां बेहतर प्रदर्शन कर रही होती हैं और हम यह समझ बैठते हैं कि देर सवेर उस कंपनी के भी बेहतर प्रदर्शन की बारी आने वाली है। पिछले दिनों सॉफ्टवेयर क्षेत्र के शेयरों में तेजी का रुख देखने को मिल रहा था और निवेशकों ने बस इस वजह से विप्रो के शेयर खरीद लिए क्योंकि इन्फोसिस और टीसीएस के शेयर बढिय़ा प्रदर्शन कर रहे थे। जिन निवेशकों ने ऐसा किया, बाद में उन्हें इसके लिए पछताना पड़ा होगा।

भावनाओं में न बहें
कई बार हम बिना सोचे समझे अपने मन की आवाज पर किन्हीं शेयरों में निवेश कर देते हैं। कई बार ऐसा भी देखने को मिलता है कि निवेशक यह समझने लगते हैं कि उन्होंने जिस शेयर में निवेश कर रखा है उसकी कीमत काफी कम है और इस वजह से बेहतर रिटर्न के लिए उन्हें उस कंपनी में अपना निवेश बनाए रखना चाहिए। कई दफा यह भी होता है कि निवेशक ने जिस शेयर में निवेश किया होता है, उसमें लगातार गिरावट के बावजूद वह उन्हें नहीं बेचता क्योंकि वह नुकसान उठाने को तैयार ही नहीं होता है। उसे लगता है कि धीरे-धीरे शेयर के भाव वापस चढऩे लगेंगे और वह अपने नुकसान की भरपाई कर लेगा। और इस तरह उसका नुकसान बढ़ता ही जाता है। जिन लोगों ने 2010 की शुरुआत में बैंकिंग शेयरों में निवेश किया था, वे कुछ ऐसे ही अनुभव से गुजर रहे होंगे।

अक्सर निवेशकों को अपने इसी पूर्वग्रह की वजह से निवेश में नुकसान उठाना पड़ता है। हालांकि यह सुनने में थोड़ा हैरानी भरा लग सकता है मगर कई दफा बाजार में चुपचाप बैठे रहना भी निवेश के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। अगर सीधे शब्दों में कहें तो निवेश का सबसे उपयुक्त फार्मूला निचले स्तर पर खरीदना और दाम चढऩे पर बेचना है। हालांकि हर दिन निवेशकों को सस्ते में शेयर खरीदने का मौका नहीं मिलता है। इसलिए जिन निवेशकों में धीरज होता है, वे सही मौके का इंतजार करते हैं और तब तक निवेश के लिए पूंजी जुटाते रहते हैं। हालांकि ज्यादातर निवेशकों को यह काम बड़ा मुश्किल लगता है। वे तो बाजार के हर उतार-चढ़ाव के साथ मुनाफा कमाना चाहते हैं। हालांकि इन दोनों ही विकल्पों
में दूसरा विकल्प थोड़ा ज्यादा मुश्किल भरा है।

बेंजामिन ग्राहम ने निवेश के संबंध में एक बड़ी महत्वपूर्ण बात कही थी। लघु अवधि में शेयर की कीमतें किसी कंपनी के बारे में लोकप्रिय भावनाओं को दर्शाती हैं जबकि लंबी अवधि में शेयरों की कीमतों से कंपनी के वास्तविक मूल्य का पता चलता है। अरबपति निवेशक वॉरेन बफेट ने कहा था, 'मैं पैसा कमाने के लिए कभी भी शेयर बाजार में निवेश नहीं करता हूं। मैं यह सोच कर शेयरों को खरीदता हूं कि इनमें कारोबार अगले दिन बंद हो जाएगा और फिर अगले 5 सालों तक बाजार में इनका कारोबार नहीं होगा।'

महज जरिया है बाजार

शेयर बाजार महज एक जरिया है जहां आप सही मौके पर बेहतर कंपनियों के शेयर खरीद सकते हैं। इसके बाद आपको शेयर के भाव में उतार-चढ़ाव की फिक्र नहीं करनी चाहिए। आपने जिस कंपनी के शेयर खरीदे हैं, उसके शेयर भाव पर निगरानी रखने के बजाय कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन पर नजर रखें। वित्तीय मीडिया में शेयरों को लेकर दी जाने वाली विशेषज्ञों की राय छोटी अवधि में बाजार के प्रदर्शन को ध्यान में रखकर होती है। वे लंबी अवधि में बाजार के प्रदर्शन को उतना महत्व नहीं देते हैं।