वित्तीय साल पूरा होने जा रहा है। मगर ज्यादातर लोग टैक्स रिटर्न फाइल करने के पहले आखिरी समय में भी वित्तीय योजनाओं पर नजर डालने से चूकते नहीं हैं। और यह आदत खराब भी नहीं है। आइये, हम आपको बताते हैं कि इस आखिरी समय में आप किन किन बातों को ध्यान में रख सकते हैं।
सबसे पहले एक सूची तैयार कर लें कि आपका अब तक स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) भुगतान कितना रहा है। आपकी कुल कर देनदारी में से टीडीएस घटा दें, जो रकम बचती है आपको अब बस उतना ही कर चुकाना है। गौर करने लायक अगली बात यह है कि अगर आपने मकान के लिए कोई कर्ज ले रखा है तो अपने बैंक से ईएमआई और कुल ब्याज भुगतान का सर्टिफिकेट जरूर हासिल कर लें। ज्यादातर हाउसिंग फाइनैंस कंपनियां खुद ही ये सर्टिफिकेट ग्राहकों को उपलब्ध करा देती हैं, पर अगर आप नौकरी पेशा हैं तो आपको पहले ही इसकी जरूरत पड़ सकती है। कुछ कंपनियां तो अपने कर्मचारियों से उनके कर बचत निवेश की जानकारियां दिसंबर या फिर जनवरी में ही मांग लेती हैं। ऐसी स्थिति में आप अपनी हाउसिंग फाइनैंस कंपनी से एक प्रोविजनल सर्टिफिकेट मांग सकते हैं। सर्टिफिकेट जारी करने की तारीख तक आपने कितने ब्याज और मूल का भुगतान किया है, इसका पता इस पत्र के जरिये चल जाएगा। इसमें यह भी बताया जाता है कि वित्तीय वर्ष के आखिर तक आपसे कितनी रकम का भुगतान अपेक्षित है।
अब जरा इलाज के खर्चों पर एक नजर डालते हैं। आपको बता दें कि अगर आपने अपने माता पिता के चिकित्सा बीमा ले रखा है तो आप आयकर की धारा 80डी के तहत प्रीमियम भुगतान पर कर में छूट का दावा किया जा सकता है। अगर आपने खुद और अपने माता पिता (जिनकी उम्र 65 साल से अधि है) के लिए चिकित्सा बीमा ले रखा है तो आप 35,000 रुपये तक के खर्च पर कर में छूट हासिल कर सकते हैं। वहीं आयकर की धारा 80सी के तहत तो कर में छूट के कई विकल्प हैं। इनमें से कुछ के बारे में तो लोगों को खास जानकारी भी नहीं होगी। हममें से ज्यादातर लोगों को यह जानकारी होगी कि प्रोविडेंट फंड खाते में हमारे सालाना निवेश पर धारा 80सी के तहत कर में छूट मिलती है। मगर इसके साथ ही मकान के लिए ऋण की किस्त और बच्चों के लिए ट्यूशन फीस पर भी इसी धारा के तहत कर में छूट मिलती है। अगर जरूरी हो तो अपने टैक्स रिटर्न में इन्हें शामिल करना न भूलें।
अगर आपने कोई दान दिया है तो जिस संस्थान को आपने दान दिया है उससे रसीद लेना न भूलें। इस दान की रकम पर भी आप धारा 80जी के तहत कर में छूट का दावा कर सकते हैं। अगर आपने अब तक यह रसीद हासिल नहीं की है तो जल्दी कीजिए।
याद रखें कि अगर आपको कारोबार में नुकसान हुआ है तो इसकी भरपाई तनख्वाह से नहीं की जा सकती है। ठीक इसी तरह किसी भी पंूजीगत नुकसान की भरपाई आय के किसी दूसरे स्रोत से नहीं की जा सकती है। शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस (एसटीसीएल) की भरपाई केवल शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी) या कर योग्य लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) से ही की जा सकती है।
चूंकि शेयरों की बिक्री से होने वाले लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ और इक्विटी म्युचुअल फंड कर मुक्त होते हैं, ऐसे में इनसे लंबी अवधि के पूंजीगत नुकसान (एलटीसीएल) की भरपाई की ही नहीं जा सकती है। ज्यादातर नुकसानों (यहां बताए गए लंबी अवधि के पूंजीगत नुकसानों को छोड़कर) की आमदनी से भरपाई 8 साल तक की जा सकती है। हालांकि इसके लिए आपको निश्चित तारीख तक टैक्स रिटर्न फाइल करना होगा। लोगों के लिए टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख आमतौर पर आकलन वर्ष की 31 जुलाई होती है। अगर इस तारीख तक रिटर्न फाइल नहीं किया जाए तो आगे नुकसान की भरपाई का दावा नहीं किया जा सकता है।
आवासीय संपत्ति के बिक्री से हासिल होने वाली लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ को दूसरी संपत्ति में निवेश करने के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है। हालांकि अगर आप आवासीय संपत्ति को छोड़कर किसी और संपत्ति की बिक्री से हासिल लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ को कर से मुक्त रखना चाहते हैं तो आपको केवल लाभ नहीं बल्कि पूरी रकम को दोबारा से संपत्ति में निवेशित करना होगा। अगर इससे कम रकम का निवेश किया जाता है तो फिर कर भी उसी अनुपात में लगेगा।
अगर आप 65 साल से कम उम्र की महिला हैं तो 1,90,000 रुपये तक की आमदनी पर कर में छूट का लाभ उठाना न भूलें। 65 साल या इससे ऊपर की उम्र वालों के लिए कर छूट की सीमा 2,40,000 रुपये है।
सबसे आखिर में सबसे जरूरी बात यह है कि कर में छूट हासिल करने के लिए जितने दस्तावेजों की जरूरत होती है सबको क्रमवार इक_ïा कर रखें। भले ही नए टैक्स रिटर्न फॉर्म (आईटीआर श्रृंखला) के लिए किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं होती है, मगर कर अधिकारी आपसे कभी भी प्रमाण के तौर पर इनकी मांग कर सकते हैं।
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Source : business-standard
सबसे पहले एक सूची तैयार कर लें कि आपका अब तक स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) भुगतान कितना रहा है। आपकी कुल कर देनदारी में से टीडीएस घटा दें, जो रकम बचती है आपको अब बस उतना ही कर चुकाना है। गौर करने लायक अगली बात यह है कि अगर आपने मकान के लिए कोई कर्ज ले रखा है तो अपने बैंक से ईएमआई और कुल ब्याज भुगतान का सर्टिफिकेट जरूर हासिल कर लें। ज्यादातर हाउसिंग फाइनैंस कंपनियां खुद ही ये सर्टिफिकेट ग्राहकों को उपलब्ध करा देती हैं, पर अगर आप नौकरी पेशा हैं तो आपको पहले ही इसकी जरूरत पड़ सकती है। कुछ कंपनियां तो अपने कर्मचारियों से उनके कर बचत निवेश की जानकारियां दिसंबर या फिर जनवरी में ही मांग लेती हैं। ऐसी स्थिति में आप अपनी हाउसिंग फाइनैंस कंपनी से एक प्रोविजनल सर्टिफिकेट मांग सकते हैं। सर्टिफिकेट जारी करने की तारीख तक आपने कितने ब्याज और मूल का भुगतान किया है, इसका पता इस पत्र के जरिये चल जाएगा। इसमें यह भी बताया जाता है कि वित्तीय वर्ष के आखिर तक आपसे कितनी रकम का भुगतान अपेक्षित है।
अब जरा इलाज के खर्चों पर एक नजर डालते हैं। आपको बता दें कि अगर आपने अपने माता पिता के चिकित्सा बीमा ले रखा है तो आप आयकर की धारा 80डी के तहत प्रीमियम भुगतान पर कर में छूट का दावा किया जा सकता है। अगर आपने खुद और अपने माता पिता (जिनकी उम्र 65 साल से अधि है) के लिए चिकित्सा बीमा ले रखा है तो आप 35,000 रुपये तक के खर्च पर कर में छूट हासिल कर सकते हैं। वहीं आयकर की धारा 80सी के तहत तो कर में छूट के कई विकल्प हैं। इनमें से कुछ के बारे में तो लोगों को खास जानकारी भी नहीं होगी। हममें से ज्यादातर लोगों को यह जानकारी होगी कि प्रोविडेंट फंड खाते में हमारे सालाना निवेश पर धारा 80सी के तहत कर में छूट मिलती है। मगर इसके साथ ही मकान के लिए ऋण की किस्त और बच्चों के लिए ट्यूशन फीस पर भी इसी धारा के तहत कर में छूट मिलती है। अगर जरूरी हो तो अपने टैक्स रिटर्न में इन्हें शामिल करना न भूलें।
अगर आपने कोई दान दिया है तो जिस संस्थान को आपने दान दिया है उससे रसीद लेना न भूलें। इस दान की रकम पर भी आप धारा 80जी के तहत कर में छूट का दावा कर सकते हैं। अगर आपने अब तक यह रसीद हासिल नहीं की है तो जल्दी कीजिए।
याद रखें कि अगर आपको कारोबार में नुकसान हुआ है तो इसकी भरपाई तनख्वाह से नहीं की जा सकती है। ठीक इसी तरह किसी भी पंूजीगत नुकसान की भरपाई आय के किसी दूसरे स्रोत से नहीं की जा सकती है। शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस (एसटीसीएल) की भरपाई केवल शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी) या कर योग्य लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) से ही की जा सकती है।
चूंकि शेयरों की बिक्री से होने वाले लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ और इक्विटी म्युचुअल फंड कर मुक्त होते हैं, ऐसे में इनसे लंबी अवधि के पूंजीगत नुकसान (एलटीसीएल) की भरपाई की ही नहीं जा सकती है। ज्यादातर नुकसानों (यहां बताए गए लंबी अवधि के पूंजीगत नुकसानों को छोड़कर) की आमदनी से भरपाई 8 साल तक की जा सकती है। हालांकि इसके लिए आपको निश्चित तारीख तक टैक्स रिटर्न फाइल करना होगा। लोगों के लिए टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख आमतौर पर आकलन वर्ष की 31 जुलाई होती है। अगर इस तारीख तक रिटर्न फाइल नहीं किया जाए तो आगे नुकसान की भरपाई का दावा नहीं किया जा सकता है।
आवासीय संपत्ति के बिक्री से हासिल होने वाली लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ को दूसरी संपत्ति में निवेश करने के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है। हालांकि अगर आप आवासीय संपत्ति को छोड़कर किसी और संपत्ति की बिक्री से हासिल लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ को कर से मुक्त रखना चाहते हैं तो आपको केवल लाभ नहीं बल्कि पूरी रकम को दोबारा से संपत्ति में निवेशित करना होगा। अगर इससे कम रकम का निवेश किया जाता है तो फिर कर भी उसी अनुपात में लगेगा।
अगर आप 65 साल से कम उम्र की महिला हैं तो 1,90,000 रुपये तक की आमदनी पर कर में छूट का लाभ उठाना न भूलें। 65 साल या इससे ऊपर की उम्र वालों के लिए कर छूट की सीमा 2,40,000 रुपये है।
सबसे आखिर में सबसे जरूरी बात यह है कि कर में छूट हासिल करने के लिए जितने दस्तावेजों की जरूरत होती है सबको क्रमवार इक_ïा कर रखें। भले ही नए टैक्स रिटर्न फॉर्म (आईटीआर श्रृंखला) के लिए किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं होती है, मगर कर अधिकारी आपसे कभी भी प्रमाण के तौर पर इनकी मांग कर सकते हैं।
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Source : business-standard