Tuesday, March 29, 2011

बच्चों के भविष्य के लिए निवेश जितना जल्द शुरू करें उतना बेहतर

जब कभी आप बच्चों के लिए निवेश योजनाएं खरीदते हैं तो आप भावनात्मक तौर पर उनसे जुड़ जाते हैं। बढ़ती महंगाई और शिक्षा खर्च की वजह से हर माता-पिता के लिए जरूरी हो चला है कि वे शुरुआत से ही अपने बच्चे के भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए निवेश करना शुरू कर दें। अपनी इन जरूरतों को पूरा करने के लिए आज की तारीख में बाजार में कई बीमा और म्युचुअल फंड योजनाएं उपलब्ध हैं।

बीमा योजनाएं
बच्चों के लिए बीमा योजनाएं परंपरागत और यूनिट लिंक्ड बीमा उत्पाद (यूलिप) दोनों ही वर्गों में उपलब्ध हैं। परंपरागत योजनाओं में मुख्य रूप से डेट में निवेश किया जाता है और इस कारण से इनमें प्रतिफल (रिटर्न) भी अपेक्षाकृत कम हासिल होता है। कुछ परंपरागत बीमा योजनाएं भी गारंटीड रिटर्न का भरोसा देती हैं, जिनमें एक न्यूनतम रकम के प्रति आश्वस्त किया जाता है। इन योजनाओं में जो भुगतान किया जाता है वह सुनिश्चित रकम के कुछ तय फीसदी के हिसाब से होता है और आमतौर पर ऐसी योजनाएं पूर्व निर्धारित उम्र से शुरू होती हैं, जैसे कि 18 साल की उम्र। अंतिम भुगतान में जुटाई गई बोनस राशि को जोड़ दिया जाता है। वहीं यूलिप बाजार से जुड़ी योजनाएं होती हैं और इनके साथ जोखिम भी जुड़ा होता है। जोखिम से जुड़े होने के कारण ही इन योजनाओं में अपेक्षाकृत अधिक रिटर्न मिलता है। पॉलिसीधारक चाहे तो डेट और इक्विटी में मिला जुलाकर निवेश कर सकता है। ऐसी योजनाएं भी बाजार में उपलब्ध हैं। इन योजनाओं की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि रकम निकासी को लेकर इनमें लचीलापन होता है। एक तय अवधि के बाद पॉलिसीधारक बिना पेनल्टी के पूरी या आंशिक निकासी कर सकता है। अगर आपको सोचे गए समय से पहले पैसों की जरूरत पड़ जाए तो ऐसे में ये योजनाएं काफी मददगार होती हैं। इन योजनाओं को खरीदते समय यह भी ध्यान रखें कि इसके तहत जीवन बीमा कवर किसे दिया जा रहा है। अगर बच्चों का जीवन बीमित हो तो अभिभावकों के मरने की स्थिति में बच्चों को कोई वित्तीय सहायता उपलब्ध नहीं कराई जाएगी। अगर इन योजनाओं को लेते वक्त यह निर्धारित किया गया हो कि अभिभावकों की मौत की स्थिति में आगे प्रीमियम नहीं भरना पड़ेगा तो बात और है।

म्युचुअल फंड योजनाएं
म्युचुअल फंड (एमएफ) योजनाएं पूरी तरह से निवेश योजनाएं हैं। बच्चों के लिए उपलब्ध म्युचुअल फंड योजनाओं में डेट, इक्विटी और सोने में निवेश किया जाता है। ऐसी योजनाएं ज्यादातर बैलेंस्ड योजनाएं होती हैं। कोई जरूरी नहीं है कि आप अपने बच्चे का भविष्य सुरक्षित करने के लिए 'चाइल्ड प्लानÓ ही लें। आप किसी दूसरी निवेश योजना के जरिए लक्ष्य को ध्यान में रखकर भी फंड इक_ïा कर सकते हैं। आइये हम जरा एक परंपरागत बीमा योजना की तुलना एक इक्विटी निवेश से करते हैं। इस कड़ी में हम एक 30 वर्षीय व्यक्ति का उदाहरण लेंगे जिसने अपने बच्चे के लिए 25 लाख रुपये की आश्वस्त रकम (एश्योर्ड रकम) वाली पॉलिसी खरीदी है। इसके लिए उस व्यक्ति को हर साल 1.68 लाख रुपये प्रीमियम (प्रीमियम वेवर राइडर के साथ) भरना होगा। वह 17 साल तक प्रीमियम भरता है। अगर हम यह मान लें कि आश्वस्त रकम पर जुटाए गए बोनस की दर 50/1000 है और अतिरिक्त टर्मिनल बोनस आश्वस्त रकम का 100/1000 है तो उसे किया जाने वाला कुल भुगतान 53.75 लाख रुपये होगा। अगर वही व्यक्ति इस पॉलिसी के बजाय हर साल 1.5 लाख रुपये सीधे इक्विटी या इक्विटी आधारित फंडों में निवेश करता है तो इस तरह वह 17 साल के आखिर में 12 फीसदी प्रतिफल के हिसाब से 73.32 लाख रुपये जुटा लेगा। दोनों योजनाओं के सालाना प्रीमियम में जो अंतर है उसका इस्तेमाल कर वह अलग से टर्म इंश्योरेंस खरीद सकता है। इस तरह वह समान निवेश से तय
अवधि में अधिक बड़ा कोष तैयार कर सकता है।

फैसले के वक्त रखें ध्यान
अगर आपके पास फंड जुटाने के लिए अधिक समय है तो आपको छोटी-छोटी रकम निवेश करनी होगी। और ऐसे में आप अधिक जोखिम भरे विकल्प जैसे कि इक्विटी में भी निवेश कर सकते हैं। अगर आपको निकट भविष्य में पैसों की जरूरत पडऩे वाली है तो खतरा न लें और डेट योजनाओं में निवेश करें।
आपको निवेश करते वक्त यह ध्यान में रखना होगा कि आप जिस लक्ष्य को ध्यान में रखकर निवेश कर रहे हैं तब आपको कितने पैसे की जरूरत होगी। आज की तारीख में आपको 25 लाख रुपये काफी लग रहे होंगे, मगर हो सकता है कि 15 साल बाद यही रकम पर्याप्त न हो। निवेश करते वक्त यह जरूर ध्यान में रखें कि निवेश योजना की लॉक इन अवधि से आपको कोई परेशानी तो नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि अक्सर आपको पॉलिसी के मैच्योर होने से पहले ही पैसे की जरूरत पड़ जाती है और तब रकम निकासी पर आपको पेनल्टी भरनी पड़ सकती है।
बच्चों के लिए निवेश करते वक्त हमेशा यह ध्यान रखें कि आप जितनी जल्दी शुरुआत करेंगे आपको हर बार उतनी ही छोटी रकम लगानी होगी
और आप उतना ही बड़ा कोष तैयार कर पाएंगे।
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Source : .business-standard