गैर परंपरागत निवेश विकल्पों के लिए आमतौर पर विकल्प या वैकल्पिक निवेश जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। डेट और इक्विटी निवेश के परंपरागत विकल्प हैं। इन्हें प्राथमिक ऐसेट वर्ग भी कहा जाता है क्योंकि ये उद्यमशीलता से सीधे जुड़े हुए हैं।
निवेश के इन विकल्पों की अपनी कुछ खामियां भी हैं जो इनके जोखिम-रिटर्न प्रोफाइल में नजर आती हैं। पहली तो यह कि इनमें तरलता की कमी होती है। दूसरी इनके साथ जोखिम भी जुड़ा होता है। यही वजह है कि इनमें ज्यादा रिटर्न देने की क्षमता भी होती है।
बेहतर रिटर्न कमाने के लिए 3 तरह की निवेश रणनीतियां होती हैं। पहली दिशागत, जो कीमतों में बदलाव का फायदा उठाते हैं, दूसरी नकदी का प्रवाह और तीसरी मध्यस्थता की रणनीति। परंपरागत ऐसेट में दिशागत रणनीतियां महत्वपूर्ण होती हैं। वैकल्पिक ऐसेट में बाद की दो ज्यादा महत्त्वपूर्ण होती हैं।
निजी इक्विटी (पीई)
पीई फंड मुख्य रूप से 2 तरह के हो सकते हैं- किसी खास सेक्टर वाले या फिर जिनका सेक्टर से कोई सरोकार न हो। जिन फंडों का किसी खास सेक्टर से कोई लेना देना नहीं होता है, उनका पोर्टफालियो काफी व्यापक होता है जबकि सेक्टर से जुड़े फंड कुछेक सेक्टर में ही पैसा लगाते हैं। इनमें उन सेक्टरों में पैसा लगा होता है जो आने वाले वर्षों में बढिय़ा विकास आ भरोसा दिलाते हैं।
पीई में निवेश तभी करना चाहिए अगर फंडों में लंबी अवधि के लिए निवेश का विकल्प हो। ज्यादातर ऐसे फंड 5 से 6 साल के होते हैं और इनमें रिटर्न कमाने के लिए इंतजार की अवधि अपेक्षाकृत लंबी होती है। ज्यादातर फंडों का पैसा ऐसे वेंचर्स में लगाया जाता है जो अपने विकास या विस्तार के शुरुआती दौर में हैं या फिर जिन्हें वित्तीय सहयोग की जरूरत है। आपको फंड से कैसा रिटर्न मिलेगा यह काफी हद तक फंड प्रबंधन टीम के अनुभव और विशेषज्ञता पर निर्भर करेगा।
स्ट्रक्चर्ड उत्पाद
स्ट्रक्चर्ड उत्पादों में आमतौर पर एक से अधिक ऐसेट वर्गों को शामिल किया जाता है। इन-बिल्ट या इनहेरेंट कैपिटल प्रोटेक्शन स्ट्रक्चर्ड उत्पादों का एक लोकप्रिय स्वरूप है। यह ध्यान में रखना जरूरी है कि ऐसे उत्पादों पर पूंजी की कोई गारंटी नहीं होती है, केवल पूंजी संरक्षण की व्यवस्था ही होती है। उदाहरण के लिए अगर कोई फंड निवेशकों से 2 या 3 साल के लिए 100 रुपये लेता है और इसमें से 90 रुपये फिक्स्ड आय या डेट योजनाओं में लगाया जाता है जिस पर हर साल ब्याज कमाया जाता है तो 90 रुपये बचे हुए सालों के लिए बढ़कर 100 रुपये हो जाएंगे। बाकी की रकम यानी कि 10 रुपये को वायदा एवं विकल्प या कमोडिटीज में लगाया जाएगा। अगर इसे ठीक तरीके से किया जाता है तो निवेशकों को फिक्स्ड आय के अलावा इस हिस्से पर भी बढिय़ा रिटर्न मिल सकता है। मगर इनमें से कई सारी तकनीकी पहलुओं को समझ पाना आम निवेशकों के लिए मुश्किल होता है।
सोना या चांदी
कमोडिटीज, प्राचीन वस्तुएं, वाइन की दुर्लभ किस्में, सिक्के और कुछ ऐसी दूसरी वस्तुएं वैकल्पिक ऐसेट की श्रेणी में आती हैं। इनमें सबसे प्रमुख सोना है जिनमें एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों के जरिए बड़े पैमाने पर निवेशक पैसा लगाते हैं। मौजूदा समय में अगर आप अपने पोर्टफोलियो में कुछ हिस्सा सोने का भी रखें, तो बेहतर होगा।
आर्ट फंड
पिछले दशक में इस निवेश वर्ग को भी लोकप्रियता मिली। हालांकि इन पर नियमन ठीक नहीं है। पेंटिंग्स और कला के कई दूसरे नमूने खरीदे जाने के बाद किसी को दिखाए बिना गोदाम में भर दिए जाते हैं। इसके पीछे तर्क यह है कि अगर ये कलाकृतियां लोगों ने देख लीं तो इनके दाम घट जाएंगे। दूसरा मसला कलाकृतियों की कीमत तय करने को लेकर भी है। अगर आपको ऐसी कलाकृतियों पर निवेश करना भी है तो बेहतर होगा कि आप इन्हें किसी प्रदर्शनी से ही खरीदें। हालांकि इस निवेश विकल्प में बिल्कुल भी तरलता नहीं है।
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Source : business-standard
निवेश के इन विकल्पों की अपनी कुछ खामियां भी हैं जो इनके जोखिम-रिटर्न प्रोफाइल में नजर आती हैं। पहली तो यह कि इनमें तरलता की कमी होती है। दूसरी इनके साथ जोखिम भी जुड़ा होता है। यही वजह है कि इनमें ज्यादा रिटर्न देने की क्षमता भी होती है।
बेहतर रिटर्न कमाने के लिए 3 तरह की निवेश रणनीतियां होती हैं। पहली दिशागत, जो कीमतों में बदलाव का फायदा उठाते हैं, दूसरी नकदी का प्रवाह और तीसरी मध्यस्थता की रणनीति। परंपरागत ऐसेट में दिशागत रणनीतियां महत्वपूर्ण होती हैं। वैकल्पिक ऐसेट में बाद की दो ज्यादा महत्त्वपूर्ण होती हैं।
निजी इक्विटी (पीई)
पीई फंड मुख्य रूप से 2 तरह के हो सकते हैं- किसी खास सेक्टर वाले या फिर जिनका सेक्टर से कोई सरोकार न हो। जिन फंडों का किसी खास सेक्टर से कोई लेना देना नहीं होता है, उनका पोर्टफालियो काफी व्यापक होता है जबकि सेक्टर से जुड़े फंड कुछेक सेक्टर में ही पैसा लगाते हैं। इनमें उन सेक्टरों में पैसा लगा होता है जो आने वाले वर्षों में बढिय़ा विकास आ भरोसा दिलाते हैं।
पीई में निवेश तभी करना चाहिए अगर फंडों में लंबी अवधि के लिए निवेश का विकल्प हो। ज्यादातर ऐसे फंड 5 से 6 साल के होते हैं और इनमें रिटर्न कमाने के लिए इंतजार की अवधि अपेक्षाकृत लंबी होती है। ज्यादातर फंडों का पैसा ऐसे वेंचर्स में लगाया जाता है जो अपने विकास या विस्तार के शुरुआती दौर में हैं या फिर जिन्हें वित्तीय सहयोग की जरूरत है। आपको फंड से कैसा रिटर्न मिलेगा यह काफी हद तक फंड प्रबंधन टीम के अनुभव और विशेषज्ञता पर निर्भर करेगा।
स्ट्रक्चर्ड उत्पाद
स्ट्रक्चर्ड उत्पादों में आमतौर पर एक से अधिक ऐसेट वर्गों को शामिल किया जाता है। इन-बिल्ट या इनहेरेंट कैपिटल प्रोटेक्शन स्ट्रक्चर्ड उत्पादों का एक लोकप्रिय स्वरूप है। यह ध्यान में रखना जरूरी है कि ऐसे उत्पादों पर पूंजी की कोई गारंटी नहीं होती है, केवल पूंजी संरक्षण की व्यवस्था ही होती है। उदाहरण के लिए अगर कोई फंड निवेशकों से 2 या 3 साल के लिए 100 रुपये लेता है और इसमें से 90 रुपये फिक्स्ड आय या डेट योजनाओं में लगाया जाता है जिस पर हर साल ब्याज कमाया जाता है तो 90 रुपये बचे हुए सालों के लिए बढ़कर 100 रुपये हो जाएंगे। बाकी की रकम यानी कि 10 रुपये को वायदा एवं विकल्प या कमोडिटीज में लगाया जाएगा। अगर इसे ठीक तरीके से किया जाता है तो निवेशकों को फिक्स्ड आय के अलावा इस हिस्से पर भी बढिय़ा रिटर्न मिल सकता है। मगर इनमें से कई सारी तकनीकी पहलुओं को समझ पाना आम निवेशकों के लिए मुश्किल होता है।
सोना या चांदी
कमोडिटीज, प्राचीन वस्तुएं, वाइन की दुर्लभ किस्में, सिक्के और कुछ ऐसी दूसरी वस्तुएं वैकल्पिक ऐसेट की श्रेणी में आती हैं। इनमें सबसे प्रमुख सोना है जिनमें एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों के जरिए बड़े पैमाने पर निवेशक पैसा लगाते हैं। मौजूदा समय में अगर आप अपने पोर्टफोलियो में कुछ हिस्सा सोने का भी रखें, तो बेहतर होगा।
आर्ट फंड
पिछले दशक में इस निवेश वर्ग को भी लोकप्रियता मिली। हालांकि इन पर नियमन ठीक नहीं है। पेंटिंग्स और कला के कई दूसरे नमूने खरीदे जाने के बाद किसी को दिखाए बिना गोदाम में भर दिए जाते हैं। इसके पीछे तर्क यह है कि अगर ये कलाकृतियां लोगों ने देख लीं तो इनके दाम घट जाएंगे। दूसरा मसला कलाकृतियों की कीमत तय करने को लेकर भी है। अगर आपको ऐसी कलाकृतियों पर निवेश करना भी है तो बेहतर होगा कि आप इन्हें किसी प्रदर्शनी से ही खरीदें। हालांकि इस निवेश विकल्प में बिल्कुल भी तरलता नहीं है।
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Source : business-standard