Friday, April 1, 2011

11 वित्तीय संकल्प :

हम अपने दिनचर्या का अधिकांश समय पैसा कमाने में लगाते हैं, परंतु दुर्भाग्य की बात है कि हम अपनी वित्तीय योजना बनाने में बिलकुल समय नहीं दे पाते हैं। आज आवश्यकता है अपने जीवन को वित्तीय रूप से अधिक खुशहाल बनाने की। नए वर्ष के जोश में नए विचार एवं संकल्प जीवन में एक नया आयाम स्थापित करने में सहायक होते हैं... तो आइए इस नव वर्ष की शुरुआत हम कुछ वित्तीय संकल्पों के साथ करें -

1. बढ़ाएँ अपना वित्तीय ज्ञान : हमारा दुर्भाग्य रहा है कि हमें वित्तीय मामलों का ज्ञान स्कूल एवं कॉलेजों में नहीं मिल पाया है, जिस कारण हममें वित्तीय साक्षरता का अभाव है। वित्तीय साक्षरता से आशय वित्तीय मामलों जैसे अपने लिए उपयुक्त वित्तीय योजनाओं का निर्माण, वित्तीय उत्पाद में मौजूद रिस्क एवं रिटर्न की समझ, सही उत्पाद का चयन, उत्पाद प्रदाता कंपनी का चयन, रियल टैक्स रिटर्न आदि बातों को सही रूप से समझकर उचित वित्तीय निर्णय लेने से है। वित्तीय साक्षरता हमारे निज आर्थिक विकास की पहली सीढ़ी है। अतः अपना वित्तीय ज्ञान बढ़ाना बहुत ही जरूरी है।

2. करें इमरजेंसी फंड तैयार : हर व्यक्ति के जीवन में अनिश्चित घटनाएँ घटित होती रहती हैं, चाहकर भी हम अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग में इनका समावेश नहीं कर पाते हैं। इमरजेंसी फंड अनिश्चित घटनाओं के दौरान उत्पन्न वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति करने के साथ ही वित्तीय कमी से उत्पन्न होने वाली मानसिक प्रताड़ना से भी हमें बचाता है। हमें 4 से 6 माह के मासिक खर्च, लोन-ईएमआई, इंश्योरेंस पॉलिसी की सालाना प्रीमियम के योग बराबर इमरजेंसी फंड तैयार कर लेना चाहिए।

3 . कम करें लोन भार : हमें अपने वर्तमान लोन को रिव्यू करके यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि हमारे सभी लोन इसी श्रेणी के हैं, जिससे हमारी नेटवर्थ में वृद्धि हो सके एवं यदि हमें लगता है कि हमारे लोन हमारी नेटवर्थ को बढ़ाने में सहायक नहीं हैं तो हमें तुरंत उन्हें चुकाने की योजना बना लेना चाहिए। साथ ही हमें इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि किस प्रकार हम ब्याज के भार को कम कर सकते हैं।

4. पर्याप्त इंश्योरेंस कवर लें : बात चाहे लाइफ इंश्योरेंस की हो या हेल्थ इंश्योरेंस की, हममें से अधिकांश व्यक्तियों ने ये इंश्योरेंस तो ले रखे हैं, पर इनके कवर पर्याप्त नहीं हैं, जिसका मुख्य कारण है कि हम इंश्योरेंस में भी रिटर्न तलाशते हैं और रिस्क को अंडर एस्टीमेट करते हैं। अतः आवश्यकता यह है कि टर्म प्लान के जरिए पर्याप्त लाइफ इंश्योरेंस एवं बढ़ती हुई मेडिकल कास्ट को ध्यान में रखकर पर्याप्त हेल्थ इंश्योरेंस लें।

5. प्रत्येक लक्ष्य के लिए बनाए बचत योजनाएँ : हर व्यक्ति के जीवन में अपने विभिन्ना लक्ष्य होते हैं, जैसे बच्चों की पढ़ाई-शादी, कार खरीदना, मकान खरीदना, रिटायरमेंट आदि। भविष्य के सभी लक्ष्यों का निर्धारण कर प्रत्येक लक्ष्य के लिए पृथक बचत योजना बनाएँ।

6. लक्ष्य-जोखिम क्षमता के अनुसार करें निवेश : हमें यह समझना चाहिए कि रिस्क एवं रिटर्न एक सिक्के के दो पहलु हैं एवं अधिक रिटर्न में रिस्क भी अधिक होती है। अतः हमें अपनी जोखिम क्षमता को ध्यान में रखकर निवेश करना चाहिए। साथ ही निवेश इस प्रकार से होना चाहिए कि जरूरत पड़ने पर कम से कम खर्चे में उसे भुनाया जा सके एवं हमारा निवेश महँगाई दर को मात देने में भी सक्षम हो।

7. टैक्स प्लानिंग सिर्फ टैक्स बचत तक सीमित न रखें : अधिकांश व्यक्ति जल्दबाजी में टैक्स बचत के तहत बिना अधिक विचार किए कहीं भी निवेश कर देते हैं। इससे टैक्स बचत तो हो जाती है, परंतु भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति सही ढंग से नहीं हो पाती है। अतः टैक्स प्लानिंग करते समय न सिर्फ टैक्स बचत, बल्कि अपनी आवश्यकताओं, जीवन के लक्ष्य एवं जोखिम क्षमता को भी ध्यान में रखकर उचित साधनों में निवेश करना चाहिए।

8. बजटिंग करें : अपने विभिन्ना मद में होने वाले खर्चों का हिसाब-किताब रखें एवं समय-समय पर रिव्यू करें कि किस मद में खर्चे में कमी की जा सकती है, जिससे भविष्य के लक्ष्यों के लिए आप अपनी बचत को बढ़ा सकें।

9. लिखें अपनी वसीयत : सामान्यतः लोग 60 से 70 वर्ष की आयु के बाद ही वसीयत लिखने की योजना बनाते हैं एवं अधिकांश लोगों की मृत्यु बिना वसीयत लिखे ही हो जाती है, जिससे परिवार को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अतः 18 वर्ष की आयु से अधिक मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति जिनके पास संपत्ति/जीवन बीमा पॉलिसी है, उन्हें अपनी वसीयत आवश्यक रूप से लिखना चाहिए।

10. संपूर्ण वित्तीय व्यवहार कम से कम एक विश्वसनीय व्यक्ति को अवश्य बताएँ : कई बार हमने समाचार-पत्रों में पढ़ा है कि बैंकों में वर्षों से कई ऐसी जमा राशियाँ हैं, जिन पर किसी ने अपना क्लेम दर्ज नहीं कराया है, जिसका मुख्य कारण यह है कि परिवारजन को मृतक के वित्तीय व्यवहार की पूर्ण जानकारी नहीं होती है एवं ऐसी दशा में अपना पैसा ही अपने परिवारजनों के काम नहीं आ पाता है। अतः अपने वित्तीय व्यवहार कम से कम एक विश्वसनीय व्यक्ति को अवश्य बताएँ।

11. विशेषज्ञों से ही लें वित्तीय सलाह : आज यदि हम वित्तीय मामलों की बात करें तो हम ऐसे सेल्समैनों पर निर्भर हैं, जिनका हित किसी कंपनी विशिष्ट के वित्तीय उत्पादों को विक्रय करने में है न कि व्यक्ति विशेष की आर्थिक प्रगति में। अतः आज हमें ऐसे वित्तीय विशेषज्ञ की आवश्यकता है, जो प्रत्येक वित्तीय निर्णय के प्रभाव को समझकर व्यक्ति विशेष की परिस्थितियों के अनुसार वित्तीय सलाह दे सकें।

जब हम सभी कार्य करने के लिए विशेषज्ञों की मदद लेते हैं, जैसे स्वास्थ्य संबंधि परेशानियों के लिए डॉक्टर, भवन निर्माण के लिए आर्किटेक्ट, टैक्स संबंधि मामलों के लिए सीए़ एवं न्यायिक विषयों के लिए वकील, तो ऐसे में हमें अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर की सेवाओं का लाभ लेना चाहिए।