Monday, March 21, 2011

IPO की भीड़ में रत्नों की पहचान की कला सीखें :

बाजार का उत्साह आईपीओ के वैल्यूएशन को नई ऊंचाइयों तक ले जा रहा है। हालांकि, लिस्टिंग के वक्त फायदा हासिल करने की
होड़ में उन जोखिमों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, जो इस राह से जुड़े होते हैं। यहां आपकी जानकारी और सतर्कता बढ़ाने में मदद की जा रही है, ताकि आप दलदल वाले आईपीओ में फंसने से बच सकें...

रामकृष्ण काशेलकर 

आईपीओ एक ऐसी प्रक्रिया है, जहां प्रमोटर अपनी कंपनी में अपने मालिकाना हक एक हिस्सा बेचते हैं, जिसमें उन्हें लंबे वक्त से निवेश किया है। उत्साहित बाजार में इक्विटी की प्राइसिंग तर्कसंगत स्तरों से काफी ऊपर निकल जाती है। लिस्टिंग से जुड़े फायदे उठाने के लिए निवेशकों को इस पहलू को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। मसलन, पिछले बूम के चरम पर होने के वक्त रिलायंस पावर ने छोटे निवेशकों को अपने शेयर 430 रुपए प्रति शेयर की दर पर बेचे थे। इसके तुरंत बाद बाजार में संकट आ गया और कंपनी ने हर पांच मौजूदा शेयर के लिए तीन बोनस शेयरों का ऑफर किया, जिसके कारण आईपीओ प्राइस 40 फीसदी नीचे आ गया। आज की तारीख में यह शेयर बोनस एडजस्टेड आईपीओ प्राइस की तुलना में 40-50 फीसदी नीचे कारोबार कर रहा है।

यह बात कई लोगों को हैरत में डाल सकती है, लेकिन कई विशेषज्ञ आईपीओ में निवेश को जोखिमपूर्ण मानते हैं। वास्तव में वैल्यू इनवेस्टिंग के पितामाह बेंजामिन ग्राहम ने 'द इंटेलीजेंट इनवेस्टर' में सभी आईपीओ से दूर रहने की सलाह दी है। उन्होंने इसमें कहा है, 'आईपीओ केवल तब बेचे जाते हैं, जब मार्केट में काफी सकारात्मक माहौल होता है और परिभाषा के हिसाब से ही यह ज्यादातर मामलों में यह विलेन साबित होता है। प्रमोटर निवेशकों के उत्साह का फायदा उठाने में लग जाते हैं।'

आईपीओ निवेश के लिए दिशानिर्देश: 

सभी आईपीओ खराब नहीं होते। उदाहरण के लिए, जिन्होंने ज्योति लेबोरेटरीज, ईक्लर्क्स या वी-गार्ड इंडस्ट्रीज के आईपीओ में निवेश किया था, उनकी पूंजी दोगुने स्तर से ज्यादा हो गई है, जबकि ये आईपीओ 2007-08 के पीक के दौरान बाजार में पहुंचे थे। लेकिन हर विजेता के सामने दर्जनों हारने वाले भी खड़े हैं। इसलिए, इन विजेताओं को भीड़ से अलग करना जरूरी हो जाता है। निवेशक आईपीओ इनवेस्टिंग से जुड़ा कदम बढ़ाने से पहले दिशानिर्देशों पर गौर कर सकते हैं।

खुद अध्ययन कीजिए

आईपीओ लाने जा रही कंपनी की वित्तीय स्थिति और दूसरी जानकारी, जोखिम से अन्य कारकों के साथ उद्योग से जुड़ी संभावनाएं, इश्यू का ब्योरा और फंड जुटाने की प्रक्रिया की जानकारी प्रॉस्पेक्टस में दी जाती है। निवेशकों को यह पता लगाने के लिए इन तमाम ब्योरों पर गौर करना चाहिए कि किस बात में दम है और किसमें नहीं।

प्रमोटर का बैकग्राउंड जांचिए

प्रमोटर की प्रतिष्ठा, उसकी योग्यता और उसके पिछले उपक्रमों की सफलता के अलावा लंबित कानूनी मामलों, इश्यू के बाद प्रमोटर की हिस्सेदारी, दूसरी समूह कंपनियों, संबंधित पक्षों के ट्रांजैक्शन और हितों के टकराव आदि की जांच की जानी चाहिए।

कंपनी के फंडामेंटल

कंपनी का वित्तीय इतिहास, मुनाफा और नकदी जुटाने की उसकी क्षमता, फंड का इस्तेमाल, कम से कम कर्ज और कामकाजी पूंजीगत जरूरत जैसे अहम बिंदुओं को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

वैल्यूएशन पर पैनी निगाह

कई बार प्रॉसपेक्टस में वैल्यूएशन का जिक्र होता है। हालांकि, इसे मौजूदा इक्विटी बेस के आधार पर आंका जाता है और इसमें आईपीओ डाइल्यूशन पर विचार नहीं किया जाता। निवेशकों को इक्विटी डाइल्यूशन के बाद शेयर मिलते हैं, इसलिए उन्हें इश्यू के बाद इक्विटी के वैल्यूएशन मल्टिपल का विश्लेषण करना होता है। प्राइस टू अर्निंग (पी/ई), प्राइस टू बुक वैल्यू (पी/बीवी), डिविडेंड यील्ड कुछ ऐसे पैमाने हैं, जिन्हें इस्तेमाल किया जा सकता है। प्रतिस्पर्धियों के साथ तुलना में जरूरत से ज्यादा वैल्यूएशन वाले आईपीओ पहचाने जा सकते हैं।

धमाकेदार सेक्टरों की युवा कंपनियां

चमकते हुए उद्योग क्षेत्रों में नई कंपनियां खूब निकलती हैं। कई बार ऐसी कंपनियों के पास दूरदृष्टि नहीं होती और न ही भविष्य में वे अपनी गतिविधियां बढ़ा पाती हैं। ग्रीन एनर्जी, वाटर मैनेजमेंट, इंफ्रास्ट्रक्चर, पावर फिलहाल ऐसे ही धमाकेदार सेक्टर कहे जा सकते हैं।

बाजार के ठंडा होने पर करें निवेश

जब बाजार में उत्साह का माहौल होता है, तो वैल्यूएशन ऐसे स्तरों तक पहुंच जाता है, जहां तर्क का कोई वजूद नहीं बचता। बाजार में मंदी के बीच आने वाला आईपीओ मजबूत वैल्यूएशन का वादा रखता है। हालांकि, अध्ययन जरूर करना चाहिए।

विशेषज्ञों की राय लें

जब आप अपना होमवर्क नहीं कर पा रहे हों, तो किस विशेषज्ञ की मदद ले सकते हैं। यह सुनिश्चित कीजिए कि यह स्वतंत्र जानकार हो। आपका ब्रोकर जरा से तर्कों के आधार पर भी आपको निवेश की सलाह दे सकता है। एक से ज्यादा विशेषज्ञों की राय की तुलना करना बेहतर है। निवेशक समुदाय के लिए बनाई गई कई वेबसाइट जानकारी का बढि़या स्त्रोत साबित हो सकती हैं।

अगर निवेश की कला मुश्किल है, तो आईपीओ निवेश उससे भी ज्यादा कठिन हैं। निवेशकों के लिए यह ज्यादा जोखिम और ज्यादा मुनाफे की रणनीति का मामला है। जैसा कि ग्राहम ने कहा है, 'इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कितने लोग शेयर खरीदना चाहते हैं। आपको शेयर तभी खरीदना चाहिए, जब वह आपके लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सस्ता जरिया जान पड़े।' कोई भी शेयर इसलिए मत खरीदिए, क्योंकि वह आईपीओ है, बल्कि इसलिए खरीदिए क्योंकि वह बढि़या निवेश है। 

~
इकनॉमिक टाइम्स