Monday, March 21, 2011

2010 की सबसे तेज रफ्तार कंपनियां :

यूकेलिप्टस और साल के पेड़, दोनों ही टिम्बर के स्त्रोत हैं और काफी इस्तेमाल में आते हैं। लेकिन इसके
बावजूद इन दोनों पेड़ों का कद एक सा नहीं है। यही कहानी ग्रोथ स्टॉक के साथ है। तेजी से बढ़ने वाला यूकेलिप्टस भारी मात्रा में पानी सोखता है और इकलॉजिकल असंतुलन भी पैदा करता है। वहीं साल का पेड़ बढ़ने में कई साल का वक्त लेता है और कुछ इसे तरजीह भी देते हैं और पूजते भी हैं। 2,000 से ज्यादा टेडेड शेयर हैं और लगभग हर कंपनी 9 फीसदी की इकनॉमिक ग्रोथ से बढ़ रही है, ऐसे में यह पहचानना मुश्किल हो जाता है कि इनमें से कौन सा अपनी रफ्तार बरकरार रख पाएगा और कौन सा आगे चलकर फिसल जाएगी। तेजी के बाजार में तिमाही के दौरान आय से जुड़े बढि़या आंकड़े शेयरों को ऊपर और ऊपर ले जाते रहते हैं। लेकिन जब हालात बदलते हैं, तो जैसा कि निवेश के पितामह वॉरेन बफेट कहते हैं, 'निवेशकों को तभी पता चल जाएगा कि कौन बिना तैयारियों के तैर रहे हैं।' ईटी इंटेलीजेंस ग्रुप आपको उन धीमे बढ़ने वाली कंपनियों को पहचानने में मदद दे रहा है, जो भले चौंकाने वाला रिटर्न सामने न रखे, लेकिन साल 2011 और उसके बाद भी सेहतमंद मुनाफा जुटाने में कामयाब रहेंगी।

सेसा गोवा

केयर्न इंडिया की ओर से 20 फीसदी हिस्सेदारी खरीदना हो, कर्नाटक के लौह अयस्क के निर्यात पर लगी पाबंदी हो या फिर उड़ीसा में लॉजिस्टिक से जुड़ी समस्या, बीते कुछ महीने में कई घटनाओं ने सेसा गोवा के शेयर पर चोट की है, लेकिन इसके बावजूद कंपनी के वित्तीय और कामकाजी हालात काफी मजबूत हैं। सेसा गोवा ने ऊर्जा नियमों और सरकारी सब्सिडी घटने की वजह से चीन में अपना उत्पादन घटाया है, जहां से उसका कुल प्रोडक्शन का 70 फीसदी निर्यात होता था। यह घटनाक्रम उत्साह गिराने वाला है। इससे कंपनी के वैल्यूएशन पर असर हुआ है, जो सालाना आमदनी का 9-10 फीसदी है, लेकिन प्रतिस्पर्धियों की तुलना में इसके शेयर अभी डिस्काउंट पर हैं। हालांकि, छोटी अवधि में कंपनी की संभावनाएं ज्यादा बेहतर नहीं दिखती, लेकिन लौह अयस्क के दामों में सुधार आमदनी में ग्रोथ के अगले ट्रिगर के रूप में काम कर सकता है।

काबरा एक्सट्रूजनटेक्रीक

काबरा एक्सट्रूजनटेक्रीक प्लास्टिक पाइप और पैकेजिंग फिल्म बनाने के लिए एक्सट्रूजन मशीनरी की अगुवा कंपनी है। उसने हाल में अमेरिका की ड्रिप रिसर्च टेक्नोलॉजी सर्विसेज के साथ गठबंधन कर ड्रिप इरिगेशन ट्यूब लाइन बनाने के लिए नया उत्पाद लॉन्च किया है। उसने कारोबारी साल 2011 के अंत तक नई मल्टी-स्पीड मल्टी-लेयर ब्लाउन फिल्म प्लांट लॉन्च करने की योजना भी बनाई है। कंपनी ने 85 करोड़ रुपए की निवेश योजना की शुरुआत कर दी है, जिससे कारोबारी साल 2012 तक उसका ग्रॉस ब्लॉक दोगुने से ज्यादा बढ़ जाएगा। देश का प्लास्टिक उपभोग 2009 में 80 लाख टन से बढ़कर अगले छह साल में दोगुना होने की संभावना है। उद्योग के जानकारों का मानना है कि अगर प्लास्टिक प्रोसेसिंग उद्योग को आवश्यक क्षमता तक पहुंचना है, तो उसे करीब 10 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी। प्लास्टिक प्रोसेसिंग उद्योग में निवेश में उछाल भविष्य में काबरा एक्सट्रूजन मशीनरी के लिए ग्रोथ के मुख्य आधार के रूप में काम करेगा।

टाइटन इंडस्ट्रीज

टाइटन ज्वैलरी और घडि़यां बनाने वाली देश की प्रमुख मैन्युफैक्चरर है। कंपनी की सेल्स में तीन-चौथाई और मुनाफे में दो-तिहाई हिस्सा ज्वैलरी से आता है, जबकि शेष घड़ी कारोबार के खाते में है। ज्वैलरी सेगमेंट में कंपनी उद्योग से ज्यादा तेज रफ्तार से ग्रोथ दर्ज करने में कामयाब रही है, जिसका श्रेय प्रतिष्ठित तनिष्क ब्रांड को जाता है। कंपनी के दो अन्य ब्रांड 'गोल्ड प्लस' और 'जोया' ने सोने के दाम ऊंचे स्तरों पर होने के वक्त भी मजबूत प्रदर्शन बरकरार रखा है। इसके अलावा, विभिन्न रिलेशनशिप और लॉयल्टी कार्यक्रमों ने उसे काफी फायदा पहुंचाया है। कंपनी देश के संगठित घड़ी बाजार में 60 फीसदी हिस्सेदारी रखती है और वह 26 मुल्कों में घडि़यों का निर्यात करती है। वह आई वियर के कारोबार में भी दाखिल हो रही है। विभिन्न ब्रांड से फायदा उठाते हुए कंपनी ट्रैवल एक्सेसरीज के कारोबार में भी कदम रख रही है। प्रतिष्ठित ब्रांड और रीटेल के साथ अतीत में मिली कामयाबी को देखते हुए कहा जा सकता है कि नई पहल भी आगे चलकर कामयाबी की कहानियों में बदल सकती हैं।

टाटा स्पॉन्ज आयरन

शेयर बाजार में टाटा स्पॉन्ज आयरन का मजबूत प्रदर्शन उसके उतने ही मजबूत रहे वित्तीय प्रदर्शन की तर्ज पर है, क्योंकि सेल्स बीते तीन साल के दौरान 23 फीसदी की चक्रवृद्धि सालाना दर से बढ़ी है, जबकि शुद्ध मुनाफे ने 82 फीसदी की रफ्तार दिखाई है। कंपनी के बही-खाते में कर्ज का कोई बोझ नहीं है। कैपेक्स योजनाओं को इससे वित्तीय लचीलापन मिलता है। वह लंबी अवधि के प्राइसिंग अनुबंध के तहत टाटा स्टील से लौह अयस्क खरीदती है। जबकि कोयला या तो आयात किया जाता है या फिर कोल इंडिया से मंगाया जाता है। इसने उड़ीसा के एक कोयला ब्लॉक में 45 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है, जहां कमर्शियल उत्पादन कारोबारी साल 2012 में शुरू हो सकता है। इसके अलावा उसने अगले पांच साल में अपनी कैप्टिव पावर प्लांट क्षमता बढ़ाकर दोगुनी 50 मेगावाट करने का लक्ष्य भी रखा है। इन दोनों चीजों से भविष्य में मुनाफा बनाने की क्षमता में सुधार आएगा। इसके शेयर लुढ़के थे, क्योंकि सितंबर 2010 तिमाही के वित्तीय नतीजों पर वन टाइम आइटम से बुरा असर पड़ा था। उषा मार्टिन और मोनेट इस्पात जैसी प्रतिस्पर्धी कंपनियों की तुलना में उसका वैल्यूएशन सस्ता है।

एक्साइड इंडस्ट्रीज

वाहनों की बिक्री में उछाल की वजह से एक्साइड इंडस्ट्रीज बहार देख रही है। उसके मार्जिन में सुधार आया है, जबकि साल 2010 में बिक्री और मुनाफे ने दहाई अंकों में बढ़त दर्ज की है। 70 फीसदी बाजार हिस्सेदारी के साथ पावर स्टोरेज सॉल्यूशन कारोबार में अगुवा होने की वजह से यह प्राइसिंग पावर काबू में रखती है, जिससे मंदी में भी उसका ऑपरेटिंग मार्जिन दुरुस्त रहता है। बीते कुछ साल के दौरान इनपुट के लिए बैकवर्ड इंटीग्रेशन ने ऑपरेटिंग मार्जिन करीब 18 फीसदी सुधारा है, जो प्रतिद्वंद्वी समूह की तुलना में ज्यादा है। इनपुट कुल ऑपरेशनल लागत में 80 फीसदी हिस्सेदारी रखती है। ऑटोमोबाइल के लिए मांग में बढ़ोतरी की उम्मीद की वजह से एक्साइड भविष्य में सतत आमदनी तक पहुंच सकती है। कैप्टिव सोर्सिंग के जरिए खर्च को ठीक करने से ऑपरेटिंग मार्जिन में और सुधार आएगा। इसलिए, कम जोखिम सहने की क्षमता रखने वाले और वाजिब रिटर्न की उम्मीद करने वाले निवेशक एक-दो साल के लिए इस शेयर पर दांव लगा सकते हैं।

विनती ऑर्गेनिक्स

स्पेशियलिटी केमिकल कंपनी विनती ऑर्गेनिक्स एंटी-इनफ्लैमेटरी ड्रग आइबुप्रोफेन में इस्तेमाल होने वाला प्रमुख कच्चा माल आइसोब्यूटाइल बेंजीन (आईबीबी) बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है। इसके अलावा, स्पेशियलिटी मोनोमर एटीबीएस बनाने वाली वह दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। इन क्षेत्रों में कंपनी के विस्तार करने से बीते कुछ साल के दौरान उसे तेजी से ग्रोथ दर्ज कराने का मौका मिला है। कंपनी के पास कई भावी कैपेक्स योजनाएं हैं, जिसमें बैकवार्ड इंटीग्रेशन, एटीबीएस के कच्चे माल आइसोब्यूटीलेन का उत्पादन और एटीबीएस के पॉलिमेरीसेशन में फॉरवर्ड इंटीग्रेशन शामिल है। इसी तरह कंपनी पीएपी के उत्पादन के लिए भी प्लांट लगा रही है, जो बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने वाली एक अन्य दवा पैरासिटामोल की मैन्युफैक्चरिंग में काफी काम आता है। हालांकि, इन कैपेक्स योजनाओं को अमली जामा पहनाने में देरी से बीती तीन तिमाहियों में कंपनी की ग्रोथ मंद पड़ी है। कंपनी इस साल इनमें से ज्यादातर प्लांट चरणबद्ध तरीके से शुरू कर देगी, जिससे उसकी आमदनी और बढ़ेगी।

ऑप्टो सर्किट्स

मेडिकल डिवाइस कंपनी ऑप्टो सर्किट्स स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की सबसे तेजी से बढ़ती कंपनियों में से एक है। निर्यात आधारित यह कंपनी इनवेसिव कार्डियोवस्कुलर और पेरिफरल डिवाइस की बिक्री के जरिए मजबूत ग्रोथ दर्ज कर रही है। जर्मन सब्सिडियरी यूरोकॉर और अमेरिकी सब्सिडियरी क्रिटीकेयर के बेहतरीन प्रदर्शन ने भी कंपनी की तेज ग्रोथ में मदद दी है। जर्मन अधिग्रहण के जरिए कंपनी कम दाम पर और कम प्रतिस्पर्धा के बीच यूरोप और एशिया के तमाम हिस्सों में इनवेसिव डिवाइस की आपूर्ति कर रही है। इनवेसिव बिजनेस सेगमेंट कंपनी के लिए लंबी अवधि में ग्रोथ का आधार साबित हो सकता है। ऑप्टो को शेयर बाजारों में प्रीमियम वैल्यूएशन मिला हुआ है, जो ऊंची ग्रोथ की संभावनाओं की वजह से तर्कसंगत भी दिखता है। इसकी वैल्यू सालाना कंसॉलिडेटेड आमदनी के चार गुना से भी ज्यादा है। कंपनी का शेयर 16.5 के कंसॉलिडेटेड प्राइस-अर्निंग मल्टिपल पर ट्रेडिंग कर रहा है।

पेज इंडस्ट्रीज

भारत में जॉकी ब्रांड इनरवियर बनाने और बेचने का विशेष लाइसेंस रखने वाली पेज इंडस्ट्रीज को बढ़ते उपभोक्तावाद और भारतीय ग्राहकों की रुचि बदलने का सबसे ज्यादा फायदा मिला है। बीते तीन साल में उसकी बिक्री और मुनाफा 33 फीसदी से ज्यादा की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़े हैं। उसने भारत के बड़े शहरों में मल्टी-फॉर्मेट रीटेल के जरिए अपनी मौजूदगी बढ़ाई है। पेज पुरुषों और महिलाओं के लिए मीडियम से लेकर हाई रेंज इनरवियर सेगमेंट में खास दर्जा बरकरार रखे हुए है। कंपनी का शेयर भाव 2007 में लिस्टिंग से तीन गुना बढ़ चुका है। फिलहाल इसकी वैल्यू 33 से ज्यादा के पी/ई पर है। पेज का ज्यादा स्टॉक वैल्यूएशन उसके बेहतर मार्जिन और मजबूत ग्रोथ में दिखता है।
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इकनॉमिक टाइम्स