हर इंसान के जीवन में एक बात जरूर मिलती है, वह है - तनाव। यह काम, हालात और स्वभाव के कारण कम या ज्यादा हो सकता है। खासतौर पर तनाव आज के दौर में अशांत जीवन का सबसे बड़ा कारण बन गया है। जिसकी जड़ में जरूरतों, इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं का हावी होना है।
इस तनाव से बचने के लिए हर व्यक्ति बेचैन भी रहता है। यहां ऐसा ही एक आसान उपाय बताया जा रहा है जिससे आप न केवल तनाव पर काबू कर पाएंगे बल्कि उससे पैदा हुए रोगों पर काबू पाकर जीवन को सुखी और शांत बनाने में भी सफल होंगे।
हिन्दू धर्म में एक ऐसा मंत्र बताया गया है, जो ईश्वर का ही रूप माना जाता है। यह मंत्र है प्रणव यानी ॐ। यह एकाक्षर ब्रह्म भी कहलाता है। धार्मिक मान्यताओं में प्रणव मंत्र में त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और शिव की सामूहिक शक्ति समाई है। यह गायत्री और वेद रूपी ज्ञान शक्ति का भी स्त्रोत है।
इसी कारण माना जाता है कि प्रणय यानी ॐ की ध्वनि से शरीर, मन और विचारों पर शुभ प्रभाव होता है। वैज्ञानिक नजरिए से भी प्रणव मंत्र यानी ॐ बोलते वक्त पैदा हुई शब्द शक्ति और ऊर्जा के साथ शरीर के अंगों जैसे मुंह, नाक, गले और फेफड़ो से आने-जाने वाली शुद्ध वायु मानव शरीर के स्वास्थ्य के लिए जरूरी अनेक हार्मोन और खून के दबाव को नियंत्रित करती है।
इसके प्रभाव से दिमाग शांत रहने के साथ ही खून के स्वच्छ होने से दिल भी सेहतमंद रहता है। जिससे मानसिक एकाग्रता के साथ काम करने की क्षमता बढ़ती है। व्यक्ति मानसिक और दिल की बीमारियों से मुक्त रहता है।
यह मंत्र आप घर या देवालय में जपमाला द्वारा, कार्यालय या आफिस जाते वक्त निजी वाहन में बैठकर मन ही मन यथाशक्ति बोलें। दूसरों की असुविधा का ख्याल रखते हुए उचित स्थान पर जोर से भी बोलना फायदेमंद होता है। इस मंत्र के दौरान मन में पवित्र भाव से इष्ट का ध्यान करते हुए बुद्धि की शुद्धि की कामना करें।
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Source : dainikbhaskar
इस तनाव से बचने के लिए हर व्यक्ति बेचैन भी रहता है। यहां ऐसा ही एक आसान उपाय बताया जा रहा है जिससे आप न केवल तनाव पर काबू कर पाएंगे बल्कि उससे पैदा हुए रोगों पर काबू पाकर जीवन को सुखी और शांत बनाने में भी सफल होंगे।
हिन्दू धर्म में एक ऐसा मंत्र बताया गया है, जो ईश्वर का ही रूप माना जाता है। यह मंत्र है प्रणव यानी ॐ। यह एकाक्षर ब्रह्म भी कहलाता है। धार्मिक मान्यताओं में प्रणव मंत्र में त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और शिव की सामूहिक शक्ति समाई है। यह गायत्री और वेद रूपी ज्ञान शक्ति का भी स्त्रोत है।
इसी कारण माना जाता है कि प्रणय यानी ॐ की ध्वनि से शरीर, मन और विचारों पर शुभ प्रभाव होता है। वैज्ञानिक नजरिए से भी प्रणव मंत्र यानी ॐ बोलते वक्त पैदा हुई शब्द शक्ति और ऊर्जा के साथ शरीर के अंगों जैसे मुंह, नाक, गले और फेफड़ो से आने-जाने वाली शुद्ध वायु मानव शरीर के स्वास्थ्य के लिए जरूरी अनेक हार्मोन और खून के दबाव को नियंत्रित करती है।
इसके प्रभाव से दिमाग शांत रहने के साथ ही खून के स्वच्छ होने से दिल भी सेहतमंद रहता है। जिससे मानसिक एकाग्रता के साथ काम करने की क्षमता बढ़ती है। व्यक्ति मानसिक और दिल की बीमारियों से मुक्त रहता है।
यह मंत्र आप घर या देवालय में जपमाला द्वारा, कार्यालय या आफिस जाते वक्त निजी वाहन में बैठकर मन ही मन यथाशक्ति बोलें। दूसरों की असुविधा का ख्याल रखते हुए उचित स्थान पर जोर से भी बोलना फायदेमंद होता है। इस मंत्र के दौरान मन में पवित्र भाव से इष्ट का ध्यान करते हुए बुद्धि की शुद्धि की कामना करें।
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